नई दिल्ली। सरकार पहली बार इस बात का पता लगाने जा रही है कि देश में कितने परिवारों में ट्रांसजेंडर व्यक्ति मुखिया है। जनगणना कार्यक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने आज यहां बताया कि जनगणना 2021 के तहत पहले चरण में एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक मकानों को सूचीबद्ध करने का काम किया जायेगा। इस दौरान मकानों की गिनती की जायेगी और उनसे संबंधित सवाल पूछे जायेंगे। जनगणना 2021 के दौरान मकानों को सूचीबद्ध किये जाने तथा जनगणना के साथ साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर भी तैयार किया जायेगा। इसके लिए करीब 30 लाख गणनाकारों को प्रशिक्षित किया गया है। जनगणना की पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी और गणनाकार एक विशेष जनगणना एप के माध्यम से आकडे इसमें फीड करेंगे। मकानों को सूचीबद्ध किये जाने के दौरान कुल 34 प्रश्न पूछे जायेंगे। इनमें से ज्यादातर मकान और उससे संबंधित होंगे। इस दौरान परिवार के मुखिया के बारे में जानकारी ली जायेगी और पहली बार यह पता लगाया जायेगा कि कितने परिवारों में ट्रांसजेंडर मुखिया है।
वर्ष 2011 की जनगणना में परिवार के मुखिया के कालम में केवल पुरूष और स्त्री का विकल्प दिया गया था जबकि इस बार ट्रांसजेंडर के रूप में तीसरा विकल्प भी दिया गया है। इसके साथ ही मकान में मौजूद सुविधाओं की जानकारी भी ली जायेगी। यह भी पूछा जायेगा कि मकान में रहने वाले लोग किराये पर हैं या मालिक हैं और यदि किराये पर हैं तो क्या उनके पास कहीं ओर कोई मकान है। यह भी पूछा जायेगा कि शौचालय है या लोग साझा तथा सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं। रेडियो के कार्यक्रम किस माध्यम से सुने जा रहे हैं और टेलीविजन के लिए दूरदर्शन का डीटीएच लिया है या केबल या फिर निजी कंपनी की सुविधा ली जा रही है। यह भी पहली बार पूछा जा रहा है कि परिवार मुख्य रूप से कौन से अनाज का सेवन कर रहे हैं।
जनगणना के साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर भी तैयार किया जायेगा जिससे सरकारी योजनाओं को लागू करने में मदद मिलेगी। ज्यादातर राज्यों ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए अधिसूचना जारी कर दी है लेकिन पश्चिम बंगाल और केरल ने अभी इसके लिए कुछ समय मांगा है। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि जनगणना की पूरी प्रक्रिया के दौरान बायोमेट्रिक डाटा नहीं लिया जायेगा और न ही लोगों से किसी तरह के दस्तावेज मांगे जायेंगे। उन्होंने कहा कि मोबाइल नम्बर, आधार नम्बर , ड्राइंिवग लाइसेंस और मतदाता पहचान पत्र की संख्या मांगी जायेगी। उन्होंने कहा कि गलत जानकारी देना या जानकारी नहीं देने पर जनगणना अधिनियम के तहत कार्रवाई भी की जा सकती है जिसके तहत एक हजार रूपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।