नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय भारत में गैर-कानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी प्रवासियों को वापस स्वदेश भेजने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई मार्च में करेगा। वकील और समाजसेवी प्रशांत भूषण ने यह याचिका दाखिल की थी, जिस पर अब अंतिम सुनवाई मार्च में की जाएगी। इसके साथ ही न्यायालय विचारक के।
एन. गोविंदाचार्य और भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर भी सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध घुसपैठियों को वापस भेजने की मांग की है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिवेदक टी। एशुमे ने वादकालीन याचिका दायर करके रोहिंग्या और बांग्लादेश शरणार्थियों को वापस भेजने से सरकार को रोकने का अनुरोध किया है, जिस पर सरकार अपना जवाब दायर करेगी।
सुनवाई के दौरान भूषण ने कहा कि यह मामला वर्तमान में चल रहे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विवाद से जुड़ा हुआ है। इस पर गोविंदाचार्य की तरफ से पेश हुए वकील विराट गुप्ता ने कहा कि जब म्यांमार रोहिंग्या को वापस लेने को राजी है तो उन्हें शरणार्थियों का दर्जा कैसे दिया जा सकता है और कैसे कह सकते हैं कि वे प्रताड़ति हैं।