नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर मचे बवाल तथा कुछ राज्यों द्वारा इसे लागू नहीं करने की घोषणा के बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह देश भर में लागू होगा लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों को इसमें रियायत दी गयी है। पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल तथा कुछ अन्य राज्यों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू नहीं करने की घोषणा की है जबकि पूर्वोत्तर के राज्यों में इसे लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं। बुधवार को नागरिकता विधेयक के संसद में पारित होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरूवार की रात इस पर हस्ताक्षर कर दिये थे जिसके बाद इससे संबंधित अधिसूचना जारी की गयी है।
कुछ राज्यों के अधिनियम का विरोध करने और इसे लागू नहीं किये जाने की रिपोर्टों पर सरकार के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि यह संविधान की सातवीं सूची से संबंधित मामला है इसलिए देश भर में लागू होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूर्वोत्तर के राज्यों को इसमें रियायत दी गयी है और उनके संबंध में विधेयक में विशेष प्रावधान किये गये हैं। इन राज्यों की सांस्कृतिक और भाषायी पहचान पर इस कानून का कोई असर नहीं होगा। खुद गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्यसभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देने के बाद सदस्यों के स्पष्टीकरण मांगे जाने पर कहा था कि यह अधिनियम पूरे देश में लागू होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों की सभी चिंताओं का इसमें समाधान किया गया है। सदस्यों ने पूछा था कि सरकार कानून बना रही है लेकिन कुछ राज्य इसका विरोध कर रहे हैं तथा न्यायालय में इसे चुनौती देने की बात कह रहे हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों में अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन किये जा रहे हैं और असम में सेना को तैनात किया गया है। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर रविवार को शिलांग जाने का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया है। उन्हें वहां एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जाना था।