भुवनेश्वर। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शिक्षाविदों से ज्ञान आधारित नये मानव समाज को पोषित करने वाले क्षेत्रों में अनुसंधान करने का आग्रह किया है। कोविंद ने रविवार को ओडिशा के उत्कल विश्वविद्यालय के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विचारों के हब हैं लेकिन वे एकांत नहीं हैं। वे समाज का हिस्सा हैं और सामाजिक बदलाव से अप्रभावित नहीं है। राष्ट्रपति ने कहा कि हाशिए में डाले गये लोगों के सशक्तीकरण के मसलों के प्रति छात्रों और शिक्षकों को संवेदनशील होना चाहिए और यह आवश्यक है कि वे पर्यावरण, स्वास्थ्य तथा शिक्षा के क्षेत्रों में उत्साह के साथ काम करें।
उत्कल विश्वविद्यालय की तारीफ करते हुए कोविंद ने कहा कि पिछले 75 साल की अपनी यात्रा में इस विश्वविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर समर्पण का प्रदर्शन किया है और हजारों छात्रों के लिए यह एक प्रमुख शिक्षा केन्द्र बन कर उभरा है। यहां से निकले विद्वान छात्र विदेशों में भी देश का सम्मान बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के प्लेटेनियम जुबली वर्ष के अवसर पर दो अक्टूबर को विश्वविद्यालय के पार्क को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद में अहिंसा स्थल का नाम दिया जाना राष्ट्रपिता के 150 वें जयंती वर्ष पर सर्वाधिक उत्तम श्रद्धांजलि है।
कोविंद ने कहा,‘‘ हमारा यह दायित्व है कि हिंसा, असहिष्णुता और संघर्ष के इस दौर में सभी को खासकर नौजवानों को गांधीजी के उन मुख्य मूल्यों के बारे में याद दिलाये जिसके लिए वह जिन्दा रहे और जिसके लिए उन्होंने अपना बलिदान दिया।’’ उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय नयी ऊंचाइयों को हासिल करेगा और 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए ज्ञान आधारित समाज के निर्माण में महती भूमिका निभायेगा। राष्ट्रपति ने इस मौके पर नये ओडिशा के निर्माता माने जाने वाले बैरिस्टर मधुसुदन दास, गोपबंधु दास, नीलकंठ दास, जी मिश्रा और महाराजा के चंद्र गजपति एवं अन्य को श्रद्धांजलि अर्पित की।