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उभयलिंगी संरक्षण विधेयक को प्रवर समिति मे भेजे जाने की मांग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 22 2019 12:14AM | Updated Date: Nov 22 2019 12:14AM
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नई दिल्ली। राज्यसभा में आज अनेक सदस्यों ने कहा कि उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक में इस वर्ग के लोगों को संरक्षण और अधिकार देने के पर्याप्त प्रावधान नहीं किये गये हैं इसलिए इसकी कमियों को दूर करने के लिए विधेयक को सदन की प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने सदन में विधेयक पर गुरूवार को पुन: शुरू हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि द्रमुक के तिरूचि शिवा ने इस समाज के लोगों को संरक्षण देने के संबंध में सदन में एक निजी विधेयक पेश किया था जिसे सभी सदस्यों ने सर्वसम्मित से पारित किया था। सरकार ने उस विधेयक के मूल प्रावधानों को मौजूदा विधेयक में शामिल नहीं किया है इसलिए यह उभयलिंगी समाज के लोगों के साथ न्याय नहीं करता। उन्होंने कहा कि इसे प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए जिससे इसकी खामियों को दूर किया जा सके।
 
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वंदना चौहान ने कहा कि विधेयक के अनुसार उभयलिंगी वर्ग के व्यक्ति को शारीरिक परीक्षण के जरिये प्रमाण पत्र लेना होगा कि वह इस समुदाय से संबंध रखता है। उन्होंने कहा कि यह उस व्यक्ति के मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विश्वम ने भी कहा कि विधेयक में इस वर्ग के लोगों को नाममात्र की समानता दी गयी है और उनके संपत्ति के अधिकार तथा अन्य दीवानी अधिकारों के बारे में प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने भी विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की।
 
द्रमुक के पी विल्सन ने कहा कि मौजूदा विधेयक तिरूचि शिवा के निजी विधेयक के प्रावधानों को नजरंदाज कर बनाया गया है और यह अपने उद्देश्य को पूरा नहीं करता। उन्होंने कहा कि इसकी खामियों को दूर करने तथा इसे सार्थक बनाने के लिए इसे प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए। बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने भी कहा कि विधेयक में इस वर्ग के लोगों के साथ यौन प्रताड़ना के मामले में अपराधी को नाममात्र  का दंड देने का प्रावधान है तथा इसे और कड़ा किये जाने की जरूरत है। भारतीय जनता पार्टी के सुरेश प्रभु ने विधेयक के प्रावधानों को तर्कसंगत बताते हुए कहा कि इसमें सरकार ने इस वर्ग के लोगों को न्याय देने की व्यवस्था की है।
 
उन्होंने कहा कि कानून बनाने के साथ साथ लोगों और परिवारों में इस वर्ग के लोगों को अपनाने के बारे में जागरूकता भी फैलायी जानी चाहिए। बहुजन समाज पार्टी के अशोक सिद्धार्थ ने सचेत किया कि विधेयक के तहत बनायी जाने वाली परिषद औपचारिकता मात्र न बनकर रह जाये। भाजपा के राकेश सिन्हा ने कहा कि यह विधेयक समाज सुधार की दिशा में बड़ा प्रगतिशील कदम है। उन्होंने कहा कि इसका दुनियाभर में भारत की छवि को लेकर सकारात्मक असर होगा। उन्हीं की पार्टी के शिव प्रताप शुक्ल ने इस वर्ग के लोगों को अस्पताल में समुचित चिकित्सा सुविधा दिये जाने की मांग की। कांग्रेस  के हुसैन दलवई ने इस समुदाय के लोगों को दिव्यांगों की तर्ज पर पेंशन देने की मांग की। 
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