नई दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने उभयलिंगी समुदाय के कल्याण एवं अधिकारों से संबंधित उभयलिंगी व्यक्ति विधेयक 2019 को मंगलवार को खामियों से भरा बताया और इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने की मांग की। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने जैसे ही यह विधेयक चर्चा के लिए पेश किया तो द्रमुक के तिरुचि शिवा ने भी इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव का कांग्रेस के राजीव गौडा, तृणमूल कांग्रेस डेरेक ओ ब्रायन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वंदना चौहान, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम तथा अन्य सदस्यों ने समर्थन किया।
इससे पहले गहलोत ने कहा कि यह विधयेक मूल रुप से वर्ष 2016 में लोकसभा में पेश किया था जिसे स्थायी समिति में भी भेजा गया। वर्ष 2017 में स्थायी समिति की रिपोर्ट आ गयी लेकिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण यह विधेयक भी निरस्त हो गया। नयी लोकसभा आने पर पिछले सत्र में इसे लोकसभा में पारित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अब इसे राज्यसभा में पेश किया गया है। इससे पहले विधेयक पर पर्याप्त चर्चा और विचार विमर्श हो चुका है। यह विचार विमर्श उभयलिंगी व्यक्तियों, उनके संगठनों, उनसे संबंधित संगठनों, विशेषज्ञों, विधिवेत्ताओं और अन्य सामाजिक संगठनों के साथ किया गया है। गहलोत ने कहा कि मौजूदा विधेयक में न्यायालय के निर्देशों, स्थायी समिति की सिफारिशों और समाज के विभिन्न वर्गों से मिले सुझावों को शामिल कर लिया गया है।