नई दिल्ली। पंजाब के अमृतसर में ऐतिहासिक जलियांवाला बाग के न्यास प्रबंधन से संबंधित जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक विधयेक 2019 पर मंगलवार को संसद की मुहर लग गयी। राज्यसभा ने भोजनावकाश के बाद लगभग तीन घंटे की बहस के पश्चात इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के जरिए ‘ जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951’ में संशोधन होगा। इस विधेयक को लोकसभा पिछले सत्र में पारित कर चुकी है। राज्यसभा में यह विधेयक सात अगस्त को पेश किया गया था। विधेयक में कांग्रेस के सुब्बीरामी रेड्डी ने एक संशोधन पेश किया था जिसे उन्होंने वापस ले लिया। पर्यटन एवं संस्कृति प्रहलाद सिंह पटेल ने बहस का जवाब देते हुए कहा कि सरकार स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सभी शहीदों को सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है और यह विधेयक इसी दिशा में एक कदम है।
विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग न्यास की स्थापना 1921 में की गयी थी और इसमें जनता ने धन दिया था। वर्ष 1951 में नये न्यास का गठन किया गया और इसमें व्यक्ति विशेष को सदस्य बनाया गया और किसी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को इसमें शामिल नहीं किया गया। उन्होंने पिछले सरकारों पर न्यास के प्रबंधन की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार न्यास में निर्वाचित और संवैधानिक तथा प्रशासनिक पदों पर आसीन व्यक्तियों को शामिल कर रही है। इसमें कोई व्यक्ति विशेष नहीं होगा और नामित व्यक्ति प्रत्येक पांच वर्ष के बाद बदल दिये जाएगें। उन्होंने सदस्यों को आश्वासन दिया कि न्यास में शहीदों के परिजनों को भी शामिल किया जाएगा। मौजूदा न्यास का कार्यकाल 2023 में समाप्त होगा तो नये सदस्यों में शहीदों के परिजन भी होंगे।