नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाना न केवल प्रजातंत्र से क्रूर मजाक है बल्कि सविंधान की परिपाटी को रौंदने वाला कुकृत्य है। पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल एवं दिल्ली के हुक्मरानों ने महाराष्ट्र के पीड़ति किसान और आम व्यक्ति से घोर अन्याय किया है। उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के मानकों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। बोम्मई केस के मुताबिक अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं था तो राज्यपाल के लिए जरूरी था कि संख्याबल में चुनाव से पहले हुए सबसे बड़े प्री पोल गठबंधन को मौका दें यानी भाजपा-शिव सेना को, फिर चुनाव से पहले हुए दूसरे सबसे बड़े प्री पोल गठबंधन को मौका दें यानी कांग्रेस- एनसीपी को।’’
उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने हर पार्टी को अलग अलग बहुमत साबित करने का मौका दिया तो फिर कांग्रेस को क्यों नहीं? इसके अलावा बहुमत साबित करने की अलग-अलग समय सीमा क्यों? भाजपा को 48 घंटे, शिव सेना को 24 घंटे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 24 घंटे भी नहीं, और कांग्रेस को एक मिनट भी नहीं? कांग्रेस नेता ने कहा कि यह निर्लज्ज राजनीतिक बेईमानी है। इस मसले पर राज्यपाल की इसलिए भी आलोचना की जा रही है क्योंकि उन्होंने राकांपा को सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के लिए पहले मंगलवार रात साढ़े आठ बजे तक का समय दिया था। सूत्रों के मुताबिक आज सुबह राकांपा ने राज्यपाल से सरकार बनाने के लिए और समय देने का अनुरोध किया। इसके बाद राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी।