नई दिल्ली। देश में नोटबंदी के असर पर किताब लिखने वाले प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा है कि मोदी सरकार के इस फैसले से गत तीन वर्षों के दौरान देश को 27 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अर्थशास्त्र के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर कुमार ने नोटबंदी के तीन वर्ष पूरे होने पर यूनीवार्ता से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन वर्ष पहले देश में काले धन को मिटाने के लिए नोटबंदी का फैसला लिया था, लेकिन काला धन समाप्त होना तो दूर की बात उल्टे देश की अर्थव्यवस्था ही चौपट हो गई।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में 45 प्रतिशत योगदान असंगठित क्षेत्र करता है और इस नोटबंदी की मार सबसे अधिक असंगठित क्षेत्र पर पड़ी और कई कंपनियां बंद हुई एवं लोग बेरोजगार हुए तथा देश का सकल घरेलू उत्पाद भी नीचे चला गया। उन्होंने कहा कि सरकार के अनुसार देश की आर्थिक विकास दर अब साढ़े पांच प्रतिशत तक पहुंच गयी है लेकिन असंगठित क्षेत्र के आंकड़ों को मिलाकर देखें तो हमारी विकास दर शून्य या ऋणात्मक हो गयी है। उन्होंने कहा कि अगर जीडीपी में आई कमी का हिसाब लगाया जाए तो देश की अर्थव्यवस्था को 27 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
यही कारण है कि अब हम आर्थिक मंदी की गिरफ्त में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में काला धन नगदी में नही बल्कि संपत्ति निवेश में रहता है यानी लोग काले धन को घर में नहीं रखते बल्कि फ्लैट और जमीन में निवेश करते हैं। इसलिए नोटबंदी से काले धन का खात्मा नहीं हुआ। कुमार जेएनयू में सुकमय चक्रवर्ती पीठ के अध्यक्ष रह चुके हैं और विदेशों में विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं एवं देश में काले धन की अर्थव्यवस्था और नोटबंदी पर अंग्रेजी में कई चर्चित किताबें लिख चुके हैं।