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गाय से ढाई गुना अधिक दूध देने वाली बछड़ी पैदा कराने की तकनीक विकसित

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 16 2019 12:50PM | Updated Date: Oct 16 2019 12:51PM
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नई दिल्ली। लाइवस्टॉक टेक्नॉलाजी  कंपनी ट्रापिकल एनीमल जेनेटिक्स (टीएजी) ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिसके  जरिए गायों का कृतिम  गर्भाधान करवाकर उनसे ढाई गुना ज्यादा दूध देने वाली  बछड़ी पैदा करायी जा सकती है। कंपनी इसके साथ ही राष्ट्रीय डेयरी  विकास बोर्ड (एनडीडीबी)  की प्रेरणा और सहयोग से ऐसी तकनीक विकसित करने की  कोशिश कर रही है जिससे  गाय को गर्भवती कराने की दर 60-70 प्रतिशत तक बढ़ायी  जा सके। आनुवांशिकी  और बायोटेक्नॉलॉजी की सहायता से पैदा होने वाली बछड़ी  से सामान्य गाय की  तुलना में ढाई गुना अधिक दूध मिलता है।

टीएजी के  संस्थापक एवं प्रबंध  निदेशक डॉ प्रवीण किनी ने यूनीवार्ता को बताया कि तकनीकी रूप से गाय  को 14  वर्ष की आयु तक गर्भवती किया जा सकता है। उनकी पेटेंटेड तकनीक  ट्रापिकल  बोवाइन जेनेटिक्स (टीबीजी) के जरिए गायों को 14 वर्ष की आयु तक  गर्भवती  कराया जा सकता है और उनसे लगभग पूरे जीवन दूध लिया जा सकता है। उन्होंने  बताया कि गायों  में इम्ब्रायो ट्रांसप्लान्टेशन की तकनीक की सहायता से  सिर्फ फीमेल  इम्ब्रायो अथवा सेक्सड इम्ब्रायो को विस्थापित किया जा सकता  है।

इसे  सेक्स्ड एम्ब्रायो तकनीक का भी नाम दिया गया है। यह तकनीक से  बछड़ी के ही  जन्म को सुनिश्चित करती है जो भविष्य में अधिक दूध देने वाली  गाय बनती है।  एक गाय की उम्र लगभग 15 वर्ष की होती है। डॉ किनी ने  बताया कि वर्ष 2015  में स्थापित उनकी कंपनी ने गुजरात के साबरमती आश्रम  (गौशाला) में एक भ्रूण  ब्रून फैक्ट्री स्थापित की है जिसके जरिए इम्ब्रायो  उत्पादन को औद्योगिक  स्तर पर करने का प्रावधान है।

वहां से इम्ब्रायो उत्पादित करके गायों में  इम्ब्रायो ट्रांसप्लांटेशन के लिए उसे इस्तेमाल  किये जायेंगे अथवा गौशाला  की गायों को सरोगेसी द्वारा उत्पादन बनाने के  लिए उनमें ट्रांसप्लांट किया  जा सकता है। इस इम्ब्रायो उत्पादन इकाई की की  पांच हजार इम्ब्रायो उत्पादन  की क्षमता है जिसे भविष्य में 20000 की  क्षमता तक ले जाने की परियोजना है।  गौशाला में नवीनतम तकनीक से गर्भाधान  कराया जा रहा है जिसके बहुत  उत्साहवर्धक परिणाम सामने आये हैं। उन्होंने  बताया कि कमजोर जेनेटिक्स  के कारण गायों से दूध उत्पादन कम होता जाता है लेकिन उनकी तकनीक से गर्भवती करायी गयी गाय की बछड़ी अपनी मां की तुलना में ढाई गुना से अधिक  दूध देती है।

उन्होंने कहा कि जो गाय बछड़ा-बछड़ी  जनने के बाद एक हजार लीटर  दूध देती है, उनकी तकनीक से गर्भवती करायी गयी  गाय की बछड़ी चार हजार लीटर  तक दूध दे सकती है। डॉ किनी ने बताया कि  उनके जरिए स्थापित की जाने वाली  फैक्ट्री में सेक्स्ड एम्ब्रायो तकनीक से  बनाये गये ब्रून से गर्भवती करायी  गयीं गायें 90 प्रतिशत तक बछड़ी ही पैदा  होती हैं, इसे सेक्सड इम्ब्रायो  तकनीक कहा जाता है।

यदि किसी गाय को  बछड़ा भी होता है तो उसे भी गायों का गर्भाधान कराने के लिए खुला छोड़ देने के बजाय पाल लिया जाता है और वे भी किसानों के लिए आय का साधन बनते  हैं। इस तकनीक से जन्मे बछड़े भी उन्नत  किस्म के होते हैं जिनके जरिए  गर्भवती करायी जानी वाली गायों से अच्छी नस्ल  के बछड़ा-बछड़ी पैदा होते  हैं। गर्भ धारण न कर पाने वाली और खुली छोड़ दी  गयी गायों को भी इस तकनीक  से गर्भवती कराया जा सकता है जिससे खुले जानवरों  से किसानों की फसलों को  होने वाले नुकसान को भी रोका जा सकेगा।

डॉ किनी ने कहा कि उनकी कंपनी का  उद्देश्य देश में दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए  सही जेनेटिक्स की गायें  उपलब्ध कराना है जिससे किसान समृद्ध और खुशहाल  जिंदगी हासिल कर सकें।  उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के नवाचारों में उनकी  अग्रणी कंपनी की  ट्रांसोवाजेनेटिक्स इंक अमेरिका, रोसलिन  इंस्टीट्यूट-यूनिवर्सिटी आफ  एडिनबर्ग, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ सांइस, इंडियन  इंस्टीट्यूट आफ टेक्नॉलाजी  मद्रास और नेशनल सेंटर फॉर बायोलाजिकल साइंसेज  के साथ रणनीतिक एवं तकनीकी साझेदारी हैं।

उन्होंने बताया कि उनकी योजना  उत्तर भारत और  दक्षिण भारत में अपनी प्रयोगशालायें स्थापित करने की है  जिससे अधिक से  अधिक मात्रा में ब्रून बनाकर गायों को गर्भवती कराया जाए और  किसानों को  लाभान्वित किया जा सके। अधिक संख्या में ब्रून उत्पादन से इनकी  कीमत भी कम  हो जायेगी। वह गौशालाओं और किसानों के समूहों को भी अपनी खास  तकनीक को  जरिए ब्रून उत्पादन में सहायता करना चाहते हैं जिससे किसान स्वयं  गायों का गर्भाधान करवाकर अपने इस महत्वपूर्ण पशुधन से अधिकाधिक लाभान्वित हो सकें।

वह ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम भी संचालित कर रहे हैं  जिससे  व्यावसायिक तकनीकी प्रशिक्षण मुहैया करवाकर नौकरियों के अवसर  उत्पन्न कराये  जा सकें। डॉ किनी ने कहा कि सरकार किसानों के विकास के  लिए निरंतर  प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का  कहना है कि देश का विकास  किसानों की उन्नति पर निर्भर है और इसलिए ऐसे  संसाधनों पर विशेष रूप से  ध्यान दिया जाना चाहिए जिसके माध्यम से किसानों  की आय दुगुनी की जा सके।

उन्होंने  कहा कि टीएजी का मिशन सरकार की योजना  के अनुकूल भारतीय कृषि क्षेत्र में  आय के नये स्रोत उत्पन्न करना है। इसी  के तहत नयी तकनीकों के माध्यम से  गायों के जेनेटिक्स में सुधार करके  दुग्ध उत्पादन को बढ़ाना है। कंपनी को  भरोसा है कि उसकी यह तकनीक सफल होगी  और किसानों आय बढ़ाने में मील का पत्थर  साबित होगी।

 
 
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