नई दिल्ली। रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय चार से दस नवम्बर तक भोपाल में टैगोर की स्मृति में सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव ‘विश्व रंग’ आयोजित कर रहा है। इसका उद्घाटन साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार रमेशचन्द्र शाह और चित्रा मुद्गल तथा वयोवृद्ध आलोचक धनंजय वर्मा करेंगे। इस महोत्सव के सिलसिले में ही शुक्रवार को यहां टैगोर समेत 12 नोबल पुरस्कार विजेता कवियों पर भी साहित्य अकादमी में एक कार्यक्रम होने जा रहा है। इसमें साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव इंद्रनाथ चौधरी टैगोर पर उद्घाटन भाषण देंगे। कार्यक्रम में पाब्लो नेरुदा, नाजिम हिकमत, महमूद दरवेश, डेरेक वाल काट, वोल शियंका जैसे विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं के हिंदी अनुवाद का पाठ होगा। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने गुरुवार को यूनीवार्ता को बताया कि तीन साल पहले टैगोर अंतरराष्ट्रीय कला केंद्र की हमने भोपाल में स्थापना की थी। उसके तत्वाधान में यह अंतरराष्ट्रीय महोत्सव आयोजित हो रहा है। इसमें 30 देशों के 500 से अधिक कलाकार भाग लेंगे।
टैगोर पर यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा। हम बिना किसी सरकारी मदद के यह आयोजन कर रहे है ताकि युवा पीढ़ी में साहित्य और कला के बीच चेतना फैलाई जाए। इसमें बंग्लादेश, बर्मा, रूस, तिब्बत, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और फिलीपींस आदि के लेखकों के अलावा ज्ञानपीठ पुरस्कार पद्म पुरस्कार साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक होंगे। इस महोत्सव में 60 सत्रों में साहित्य, संस्कृति, सिनेमा, पत्रकारिता, बाल साहित्य, मीडिया और पर्यावरण जैसे विषयों पर विचार विमर्श होगा। समारोह में 15 देशों के प्रवासी हिंदी लेखक भी होंगे। इसमें किन्नर कवियों का भी आयोजन होगा। पहले चार नवम्बर से छह नवम्बर तक टैगोर के साहित्य रंगमंच और पेंटिग पर चर्चा होगी। गांधी और टैगोर की विरासत पर भी चर्चा होगी टैगोर पर सत्यजीत रे और बुद्धदेव दास गुप्ता की फिल्म भी दिखाई जाएगी। इसके अलावा एक बैले भी होगा। प्रसिद्ध रंगकर्मी उषा गांगुली का टैगोर की कृतियों पर नाटक भी होगा।
उन्होंने बताया कि इस महोत्सव की तैयारी के सिलसिले में 50 टैगोर पुस्तक यात्रा भी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में आयोजित हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव का मकसद ंिहदी और भारतीय भाषाओं के बीच समन्वय स्थापित करना है। इसमें भारतीय भाषाओं के लेखकों और बोलियों को भी आमंत्रित किया गया है। 66 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है उसमें से 15 विश्वविद्यालय के शिक्षक और छात्र भी होंगे। उन्होंने बताया कि हमने अबतक पुस्तकों के प्रचार प्रसार के लिए एक लाख पुस्तक दूत बनाए हैं। नागरिकता विस्थापन के मुद्दे पर लेखक क्या लिख और सोच रहे है इस पर भी विचार होगा। इसके अलावा 175 कलाकृतियों की प्रदर्शनी होगी। मुशायरा और दास्तान गोई होगी एवं बैंड का भी आयोजन होगा।