नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम को मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से उस समय बड़ा झटका लगा जब धन शोधन और भ्रष्टाचार से जुड़े आईएनएक्स मीडिया मामले में उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी गई। न्यायाधीश सुनील गौर ने 25 जनवरी को इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था । उन्होंने आज फैसला देते हुए चिदम्बरम की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया । याचिका खारिज होने के बाद उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। उच्च न्यायालय से याचिका खारिज हो जाने के बाद वह इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जायेंगे। इस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) दोनों ही जांच एजेंसियों ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री जांच में सहयोग करने से बच रहे हैं । इसलिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करना अनिवार्य है ।
चिदम्बरम साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए के एयरसेल मैक्सिस सौदे और आईएनएक्स मीडिया के तीन सौ पांच करोड़ रुपए संबंधी मामले में विभिन्न जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। यह सौदे उस समय के हैं जब वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में वित्त मंत्री थे और विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के तहत इन्हें मंजूरी दी थी। ईडी ने चिदम्बरम की जमानत का पुरजोर विरोध करते हुए दलील दी कि जिन कंपनियों को राशि हस्तांतरित की गई है वे सभी कंपनियां प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रुप से चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम के अधिकार वाली हैं। जांच एजेंसी के पास यह मानने की एक वजह है कि आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी से मंजूरी कार्ति चिदंबरम के दखल के बाद दी गई है । गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने पिछले साल 25 जुलाई को चिदम्बरम को दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था जिसे समय समय पर बढ़ाया गया था ।