28 Mar 2024, 14:06:21 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

नाईक से मिले प्रशासनिक एवं वन सेवा की परिवीक्षाधीन अधिकारी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 26 2019 1:14AM | Updated Date: Jun 26 2019 1:14AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि आबादी की दृष्टि से यह राज्य देश का सबसे बड़ा प्रदेश है और विश्व के केवल तीन देश अमेरिका, चीन और इण्डोनेशिया इससे बड़े है, ऐसे राज्य में काम करने पर गर्व होना चाहिए। नाईक ने मंगलवार को यह विचार आज राजभवन में भारतीय प्रशासनिक सेवा बैच 2018 के 16 एवं भारतीय वन सेवा बैच 2016 के 6 परिवीक्षाधीन अधिकारियों से भेंट के दौरान व्यक्त किये। नाईक ने अपने अनुभव बताते हुये कहा कि ऐसी दृष्टि बनाने की आवश्यकता है जो जनहित को समर्पित हो। राज्यपाल ने कहा कि लोकसभा में प्रथम बार निर्वाचित होने पर उन्होंने यह महसूस किया कि कुछ सदस्य शपथ लेते समय ‘हिन्दोस्तान’ शब्द का प्रयोग करते हैं जबकि संविधान में ‘भारत’ और ‘इण्डिया’ ही लिखा है।

उनकी आपत्ति के बाद शपथ पत्र का प्रारूप बदला गया। उन्होंने देश की आजादी के 42 साल बाद संसद में ‘वंदे मातरम्’ और ‘जन-मन-गण’ के गायन की शुरूआत करायी। इसी प्रकार उन्होंने मुंबई में दो तल के शौचालय निर्माण करवाया जिसकी सराहना विश्व बैंक ने भी की। उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नया सोचे और करें जिससे नई पहचान बने। नाईक ने यह भी बताया कि गत 40 वर्षों से सार्वजनिक जीवन में रहते हुये हर साल अपना वार्षिक कार्यवृत्त उन्होंने अपने मतदाताओं को प्रस्तुत किया। यह परम्परा राज्यपाल रहते हुये भी जारी रखी जिसमें ‘राजभवन में राम नाईक’ के नाम से वे अपना वार्षिक कार्यवृत्त प्रदेश की जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।

राज्यपालों के सम्मेलन में राष्ट्रपति ने उनके वार्षिक कार्यवृत्त की सराहना की तथा अन्य राज्यपालों को भी अनुसरण करने की बात कही।  उन्होंने कहा कि ऐसा करने से अपने काम का हिसाब करते हुये आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है और आत्म-संतोष होता है। उन्होंने कहा कि आप जो भी करें वह स्वयं को भी मालूम हो और दूसरे भी आपकी कार्यप्रणाली से अवगत हो।

उन्होंने व्यक्तित्व विकास एवं जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए चार मंत्र बताते हुए कहा कि सदैव मुस्कुराते रहें, दूसरों की सराहना करना सीखें, दूसरों की अवमानना न करें क्योंकि यह गति अवरोधक का कार्य करती हैं, अहंकार से दूर रहें तथा हर काम को अधिक अच्छा करने पर विचार करें। उन्होंने ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि निरन्तर चलते रहने में ही सफलता का मर्म निहित है। उन्होंने कहा कि सूरज की तरह निरन्तर गतिमान रहने वाला व्यक्ति ही वंदनीय होता है। महानिदेशक कुमार अरविन्द सिंह देव ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा अपर निदेशक संजय यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। राज्यपाल ने सभी परिवीक्षाधीन अधिकारियों को अपना चतुर्थ वार्षिक कार्यवृत्त ‘राजभवन में राम नाईक 2017-18’ की प्रति भेंट की।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »