नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी, लेकिन यह लड़ाई राजनीतिक बदले की भावना से नहीं होगी और दोषियों की सजा कानून के अनुसार अदालतें तय करेंगी। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर करीब 13 घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुए श्री मोदी ने कांग्रेस पर कड़े प्रहार किये। करीब एक घंटे पाँच मिनट के भाषण के बाद सदन ने विपक्ष के सभी संशोधनों को ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया और धन्यवाद प्रस्ताव को पारित कर दिया। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर जमकर हमले किये और बाद में प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को उद्धृत करते हुए आव्हान किया कि देश को अधिकारों एवं सुविधाओं से हटाकर कर्तव्य के मार्ग में ले जाया जाये।
उन्होंने जनप्रतिनिधियों से इसके लिए जनजागरण करने का आव्हान किया। मोदी ने आपातकाल लगाने की 44 वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस को एक बार फिर घेरते हुये कहा, ‘‘25 जून की वो काली रात। देश की आत्मा को कुचल दिया गया था। मीडिया को दबोच दिया गया, महापुरुषों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया, देश को जेलखाना बना दिया गया; सिर्फ इसलिए कि किसी की सत्ता न चली जाये।’’ उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का अनादर किया गया था। संविधान को कुचल दिया गया था। यह दाग कभी मिटने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि उस घटना को बार-बार याद कराया जाना जरूरी है ताकि फिर कोई इस तरह का काम करने की हिम्मत न कर सके। उनका इशारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की तरफ था जिनके शासनकाल में 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया था।
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के भाषण में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को जेल में डालने की चुनौती दिये जाने का जवाब देते हुए कहा कि कहा कि उन्हें इसलिए कोसा जा रहा है कि उन्होंने अमुक को जेल में नहीं डाला। उन्होंने कहा, ‘‘यह आपातकाल नहीं है कि किसी को भी जेल में डाल दिया जाये। यह लोकतंत्र है। हम बदले की भावना से काम नहीं करेंगे। किसी को जेल भेजा जायेगा तो यह काम अदालतें करेंगी। अगर किसी को जमानत मिलती है तो वह ‘इन्ज्वॉय’ करे। हम जो भी करेंगे, पूरी ईमानदारी से करेंगे, हीन भावना से नहीं करेंगे। हमें गलत रास्ते पर जाने की जरूरत नहीं है।’’
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इस पार्टी में सिर्फ नेहरू-गाँधी परिवार को ही सराहा जाता है और उन्हीं का सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव या डॉ. मनमोहन सिंह को इसलिए भारत रत्न नहीं दिया गया क्योंकि वे ‘परिवार’ से नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘वहाँ परिवार से बाहर किसी को कुछ नहीं मिलता।’’ वहीं दूसरी तरफ उनकी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न दिया, यह जानते हुये भी कि उन्होंने अपना पूरा जीवन एक पार्टी को समर्पित कर दिया क्योंकि उनकी सरकार में पार्टी या परिवार नहीं काम के आधार पर सम्मान दिया जाता है।
प्रधानमंत्री ने पं. जवाहरलाल नेहरू को 14 जुलाई 1951 के कांग्रेस के घोषणापत्र को जारी करते हुए कहे गये शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा दुनिया को भारत की बहुत बड़ी सीख है कि सबसे पहले कर्तव्य आते हैं और अधिकार एवं सुविधा उसी कर्तव्य से आते हैं। सब लोग अधिकारों एवं सुविधाओं के लिए लड़तें हैं पर शायद ही कोई कर्तव्य के लिए लड़ता है। अगर कर्तव्य को भूल जाएं तो अधिकार और सुविधा नहीं रह पायेंगी। मोदी ने कृषि क्षेत्र में निजी निवेश, मेक इन इंडिया, अर्थव्यवस्था, हथियारों के निर्माण, आधारभूत ढाँचे के विकास आदि के मामले में प्रगति के रोडमैप का उल्लेख करते हुए कहा कि एक नया भारत बनाने के लिए आगे आना है जिसमें सामान्य मानव के सारे सपने साकार हो सकें। गाँवों और शहरों में समान अवसर मिले। उन्होंने कहा, ‘‘आइए हम सब मिलकर नये भारत के निर्माण में राष्ट्रपति के मार्गदर्शन में उनके अभिभाषण की मूल भावना को जीकर सच्चे अर्थों में धन्यवाद प्रस्ताव को पारित करें।’’