नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगा मामले में 97 लोगों की हत्या के आरोपी चार दोषियों को जमानत दे दी। अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में 28 फरवरी 2002 को उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के करीब 97 लोगों की हत्या कर दी थी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में चार दोषियों को जमानत पर छोडऩे का आदेश दिया है। यह घटना गुजरात दंगों से जुड़ी है, जहां अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में 28 फरवरी 2002 को उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के करीब 97 लोगों की हत्या कर दी थी। नरोदा पाटिया मामले में पिछले साल गुजरात हाईकोर्ट ने बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया था लेकिन सबूतों के अभाव में पूर्व बीजेपी मंत्री माया कोडनानी बरी हो गयी थी।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने चार मुख्य दोषियों को जमानत दे दी। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि उनको दोषी करार दिए जाने पर संदेह है। इस मामले में अभी बहस की गुंजाइश है। इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया गया। इन सभी दोषियों को आईपीसी की धारा 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग लगाना या विस्फोट करना) के तहत दोषी ठहराया गया था।
नरोदा पाटिया दंगा केस साल 2002 में हुए गुजरात गोधरा कांड से जुड़ा है।
27 फरवरी, 2002 के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को जला दिया गया था। इस ट्रेन में अयोध्या से बड़ी तादाद में कारसेवक अहमदाबाद जाने के लिए सवार हुए थे। इसमें 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद विश्व हिंदू परिषद ने 28 फरवरी, 2002 को बंद का आह्वान किया था। इसी दौरान नरोदा पटिया इलाके में उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला पर 97 लोगों की हत्या कर दी।