वॉशिंगटन। उत्तर कोरिया के प्रति अमेरिकी दिलचस्पी अनायास नहीं है। दोनों देशों के बीच इस डील में उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार छोड़ने के एवज में अमेरिकी मदद के पीछे उसका निशाना कहीं और भी है। अमेरिका की चिंता उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम से ज्यादा चीन से है। दरअसल, परमाणु संपन्न उत्तर कोरिया और चीन की घनिष्ठता से एशिया क्षेत्र का सामरिक समीकरण तेजी से बदल रहा है। अमेरिका की सारी चिंता इसी तानेबाने को लेकर है। आखिर क्या है अमेरिका की बड़ी चिंता। कैसे बिगड़ रहा है यहां का सामरिक संतुलन। उत्तर कोरिया किम जोंग उन और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच वार्ता के क्या है निहितार्थ।
ट्रंप अगले महीने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के साथ शिखर सम्मेलन करेंगे। ट्रंप तथा किम के बीच यह दूसरा शिखर सम्मेलन होगा। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स ने ट्रंप तथा उ. कोरिया के उप नेता किम योंग चोल के बीच हुई बैठक के बाद शुक्रवार को यह जानकारी दी। सैंडर्स ने कहा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डेढ़ घंटे तक किम योंग चोल के साथ बैठक की। इस दौरान दोनों नेताओं ने परमाणु निरस्त्रीकरण तथा फरवरी के आखिर में दूसरे शिखर सम्मेलन को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ट्रंप तथा किम के बीच होने वाले दूसरे शिखर सम्मेलन की जगह की घोषणा बाद में की जाएगी।
उत्तर कोरिया बनाम अमेरिकाल्ल यहां एक सवाल यह भी उठता है कि आखिर दुनिया के इस ताकतवर मुल्क के राष्ट्राध्यक्ष को आखिर किम जोंग से मिलने की जरूरत क्यों पड़ी। यह जानना भी आवश्यक है कि दोनों मुल्कों की तुलनात्मक हैसियत और शक्तियां क्या हैं।
- उत्तर कोरिया में प्रति व्यक्ति आय एक हजार 700 डॉलर है, अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 60 हजार डॉलर है।
- अमेरिका के पास परमाणु हथियारों की तादाद 6550 है, उधर उत्तर कोरिया में केवल 15 परमाणु हथियार हैं।
- किम जोंग ढाई करोड़ लोगों के नेता हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रंप लगभग 33 करोड़ अमेरिकियों की नुमाइंदगी करते हैं।
उत्तर कोरिया पर चीन के गहरे प्रभाव चिंतित अमेरिका
चीन लंबे समय से उत्तर कोरिया पर अपना प्रभाव रखता रहा है। परमाणु संपन्न उत्तर कोरिया की चीन पर लगातार निर्भरता बढ़ रही है। दरअसल, उत्तर कोरिया के गिने-चुने मित्र राष्ट्रों में चीन शामिल रहा है, लेकिन चीन जिस तरह से एशियाई मुल्कों में अपना तानाबाना बुन रहा है, उससे इस क्षेत्र में अमेरिकी आर्थिक और सामरिक हित प्रभावित हो रहे हैं। इसके चलते अमेरिका ने अपनी कोरिया कूटनीति में बदलाव किया है। इसके साथ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों को खत्म करने का आश्वासन लेकर दक्षिण कोरिया और जापान की चिंताओं को कम किया है।