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मोदी ने 60 लाख लोगों के मुंह से छीना निवाला - बेरोजगाए हुए 15 लाख लोग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 21 2017 3:27PM | Updated Date: Jul 21 2017 3:28PM
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मुंबई। कालाधन निकालने और बाजार में नकली नोटों पर अंकुश लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के नोटों को प्रचलन से बंद कर दिया। इसकी कड़वी सच्चाई यह है कि नोटबंदी से देश के करीब 60 लाख लोगों के मुंह से निवाला छिन गया। इसका सबसे बड़ा कारण नोटबंदी के बाद करीब 15 लाख लोगों का रोजगार जाना है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की सर्वे रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया  है।

मोदी नहीं दे सके रोजगार
सरकारी आंकड़ों पर ही भरोसा करें, तो देश में हर साल करीब 10 लाख तक की श्रमशक्ति को रोजगार की जरूरत होती है, लेकिन अभी हाल ही में आई एक सर्वे रिपोर्ट पर यकीन करें, तो पीएम मोदी की सरकार बीते एक साल में देश की करीब डेढ़ लाख श्रमशक्ति को भी रोजगार के अवसर नहीं उपलब्ध करा सकी है। बीते एक साल में मोदी सरकार ने 10 लाख युवाओं को रोजगार तो दे न सकी, उल्टे नोटबंदी से 15 लाख लोगों की नौकरियां छीन ली।
 
नौकरियों की संख्या घटी
सीएमआईई के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार, नोटबंदी के बाद जनवरी से अप्रैल, 2017 के बीच देश में कुल नौकरियों की संख्या घटकर 405 मिलियन रह गई थीं, जो सितंबर से दिसंबर, 2016 के बीच 406.5 मिलियन थी। इसका  मतलब यह कि नोटबंदी के बाद नौकरियों की संख्या में करीब 1.5 मिलियन अर्थात 15 लाख की कमी आई। देशभर में हुए हाउसहोल्ड सर्वे में जनवरी से अप्रैल, 2016 के बीच युवाओं के रोजगार और बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जुटाए गए थे।

5,19, 285 युवकों पर सर्वे
इस सर्वे में कुल 1 लाख 61 हजार, 168 घरों के कुल 5 लाख 19 हजार, 285 युवकों पर सर्वे किया गया था। सर्वे में कहा गया है कि तब 401 मिलियन यानी 40.1 करोड़ लोगों के पास रोजगार था। यह आंकड़ा मई-अगस्त, 2016 के बीच बढ़कर 403 मिलियन यानी 40.3 करोड़ और सितंबर-दिसंबर, 2016 के बीच 406.5 मिलियन यानी 40.65 करोड़ हो गया। इसके बाद जनवरी से अप्रैल, 2017 के बीच रोजगार के आंकड़े घटकर 405 मिलियन यानी 40.5 करोड़ रह गए। इस दौरान कुल 15 लाख लोगों की नौकरियां खत्म हो गई। 
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