जिनेवा। भारत के अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जिनेवा में हुई संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद की बैठक में कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा भारतीय राजनीति का मूल है। रोहतगी यूएनएचआरसी की बैठक में भारत पर पाकिस्तान द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दे रहे थे। रोहतगी यूएनएचआरसी में शामिल हुए दल का नेतृत्व कर रहे थे।
भारत एक धर्मननिरपेक्ष देश
यूएनएचआरसी की बैठक में सभी सदस्य देशों में मानव अधिकार की स्थित समीक्षा की जाती है। रोहतगी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत एक धर्मननिरपेक्ष देश है, यहां राज्य का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है और भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की गई है।
चार साल में होती हैं बैठक
हर चाल साल पर होने वाली यूएनएचआरसी समीक्षा बैठक में रोहतगी ने कहा, दुनिया की सबसे ज्यादा परतदार लोकतंत्र होने के नाते हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूरा महत्व समझते हैं और उसे स्वीकार करते हैं। हमारी जनता अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता के प्रति जागरूक है और हर अवसर पर उसे अभिव्यक्त करती है। चार मई को हुई इस बैठक में भारत सरकार के शीर्ष वकील रोहतगी ने भारत में मानवाधिकारों की रक्षा में न्यायपालिका की भूमिका को बार-बार रेखांकित किया।
रात को दो बजे होना पड़ा कोर्ट में हाजिर
रोहतगी ने अपने संबोधन में याकूब मेमन मामले की तरफ संकेत करते हुए कहा कि उन्हें फांसी की सजा के खिलाफ एक अपील पर रात के दो बजे सुप्रीम कोर्ट में हाजिर होना पड़ा था। रोहतगी ने ट्रांसजेंडरों को तीसरे जेंडर के रूप में मान्यता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसला का भी जिक्र किया। पर्यारवण और जलवायु से जुड़े मुद्दों, आम नागरिकों की निजता और अधिकार से जुड़े मुद्दों और आफ्सपा जैसे कानून के तहत सेना एवं अन्य सैन्य बलों को पूरी तरह छूट देने के खिलाफ दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया।
कई देशों ने की भारत से अपील
यूएनएचआरसी की बैठक में हर देश अपनी रिपोर्ट पेश करता है जबकि बाकी देश उससे विभिन्न मुद्दों और दस्तावेज पर सवाल पूछ सकते हैं। बैठक में इटली, इजराइल और जापान ने भारत से मृत्युदंड खत्म करने की अपील की। विभिन्न देशों ने विदेशी चंदा पाने वाले एनजीओ से जुड़े कानून में बदलाव की भी मांग की। कुछ देशों ने भारत से आफ्सपा जैसे कानून को हटाने के लिए कहा। आफ्सपा हटाने पर रोहतगी ने कहा कि ये मामला भारत में बहस के केंद्र में है।