नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किए जाने पर यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। पूर्व छात्रों ने कुलपति को पत्र लिखकर अपील की है कि मोदी ने 2008 में यूनिवर्सिटी के खिलाफ बयान दिया था, इसलिए उन्हें भेजा गया आमंत्रण वापस लिया जाए।
असद अशरफ (2007-2010 बैच) और महताब आलम (2001-2003 बैच) की ओर से संयुक्त तौर पर लिखे गए पत्र पर पूर्व छात्रों के संगठन के 50 से ज्यादा पंजीकृत सदस्यों के दस्तखत हैं। बहरहाल, जामिया ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया है।
पूर्व छात्रों के संगठन की ओर से लिखे गए पत्र के मुताबिक, हम, जामिया के पूर्व छात्र, वार्षिक दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत के लिए नरेंद्र मोदी को भेजे गए आपके आमंत्रण पर गहरा दुख और क्षोभ जताने के लिए यह लिख रहे हैं । हम दुखी और स्तब्ध हैं क्योंकि वह और उनके पार्टी के सदस्य यूनिवर्सिटी के बारे में अफवाह और नफरत फैलाते रहे हैं।
पत्र के मुताबिक, आपसे हमारा एक ही अनुरोध है कि आमंत्रण वापस लें या कम से कम उनसे इतना कहें कि दीक्षांत समारोह में शिरकत से पहले वह अपने दुर्भावनापूर्ण और गलत बयान पर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें। जामिया ने इस महीने की शुरूआत में मोदी को पत्र लिखकर इस साल के वार्षिक दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत के लिए आमंत्रण भेजा था। बहरहाल, प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस बाबत यूनिवर्सिटी को अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।
साल 2008 के सितंबर में बटला हाउस मुठभेड़ कांड के बाद मोदी ने यूनिवर्सिटी पर हमला बोला था। गुजरात में एक सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था, दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया नाम की एक यूनिवर्सिटी है। उसने सरेआम ऐलान किया है कि वह इस कारनामे में शामिल आतंकवादियों की कानूनी फीस अदा करेगी। डूब मरो। यह जामिया मिलिया सरकार के पैसे पर चलती है और वह आतंकवादियों को जेलों से बाहर निकालने की खातिर वकीलों पर पैसे खर्च करने की हिमाकत कर रही है। यह वोट बैंक की राजनीति कब खत्म होगी ?