नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की 184 कंपनियां घाटे में चल रही है और मार्च 2018 तक इनका कुल घाटा 1,42,309.28 करोड़ रुपए दर्ज किया गया है। भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की मंगलवार को केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम वित्तीय स्थिति पर संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा गया कि 31 मार्च 2018 तक 644 सरकारी कंपनियां थी और इनमें से 184 कंपनियां घाटे में हैं। इनकी कुल हानि 1,42,309.28 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
इनमें से 77 कंपनियों की कुल हानि उनकी समग्र पूंजी से अधिक हो गयी हैं। हालंकि इनमें 12 कंपनियों ने इसी अवधि में 1344 करोड़ का लाभ अर्जित किया है। रिपोर्ट के अनुसार 231 सरकारी कंपनियों ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 1,66,197 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित किया है जिसमें 52 कंपनियों की हिस्सेदारी 71.83 प्रतिशत यानि 1,19,379 करोड़ रुपए है। ये कंपनियां पेट्रोलियम, कोयला और लिग्नाइट क्षेत्र की हैं। कुल 101 सरकारी कंपनियों ने सरकार को 70,562 करोड़ रुपए का लाभांश दिया है।
सार्वजनिक क्षेत्र की एमएमएटीसी लिमिटेड निदेशक मंडल में कोई महिला निदेशक नहीं है। सरकार ने 420 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में 3,57,064 करोड़ रुपए का निवेश शेयर के रुप में किया है। इन कंपनियों पर सरकार का ऋण 31 मार्च 2018 तक बढकर 88 हजार 479 करोड़ रुपए हो गया है। सार्वजनिक की महज 21 कंपनियां शोध एवं विकास में निवेश करती हैं। इनमें सात महारत्न, आठ नवरत्न, तीन मिनीरत्न और तीन अन्य कंपनियां शामिल हैं।