नई दिल्ली। पांच वाम दलों ने असम की नागरिकता सूची से बाहर किये गए 19 लाख लोगों की अपील की सुनवाई एक न्यायिक अदालत से करने की मांग की है और राज्य की जनता से सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने की अपील की है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और भाकपा ने गुरुवार को यहाँ जारी एक संयुक्त बयान में यह मांग की है।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा भाकपा के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य और आर एस पी के महासचिव क्षितिज गोस्वामी ने अपने बयान में कहा है कि जिन लोगों के नाम नागरिकता सूची में नही हैं, उन्हें 120 दिन के भीतर फॉरेन ट्रिब्यूनल के सामने अपील करने का समय दिया गया है लेकिन यह कोई कानूनी निकाय नहीं है, बल्कि यह केवल कार्यकारी इकाई के रूप में काम करता है, इसलिए हम वाम दलों की मांग है कि ट्रिब्यूनल से ऊपर किसी निकाय से इस अपील की सुनवाई करने की व्यवस्था किये जाने की जरूरत है।
बयान में कहा गया है कि जिन लोगों के नाम सूची में नहीं वे शरणार्थी शिविर में रखे जायेंगे जहाँ कोई मानव अधिकार नहीं है। इस तरह लोगों को शिविर में रखना गैर कानूनी और गैर संवैधानिक भी हैं। इन दलों का कहना है कि भाजपा पूरे देश में इस तरह की नागरिकता सूची बनाना चाहती है और इसकी वह तैयारी कर रही है। इसलिए वाम दल भाजपा और अन्य दलों की इस नीति का विरोध किये जाने की जरूरत है।