नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले को लेकर शिवराज सरकार अब घिरती नजर आ रही है। कांग्रेस ने इस घोटाले को लेकर शिवराज सरकार पर सोमवार को जमकर हमला बोला। व्यापमं घोटाले को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी से दस सवाल पूछे हैं। वहीं सीएम शिवराज का इस्तीफा मांगा है।
शिवराज के रहते जांच संभव नहीं
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को तत्काल बर्खास्त करने और व्यापमं घोटाले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है। साथ ही, कांग्रेस ने यह भी कहा कि सीएम पद पर शिवराजसिंह के रहते इस घोटाले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।
अनामिका को मिल रही थी धमकियां
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि व्यापमं की ओर से संचालित परीक्षा के माध्यम से पुलिस बल में भर्ती हुई एक 25 वर्षीय महिला प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर अनामिका कुशवाह एक झील में मृत पाई गई। अनामिका को धमकी मिली थी। अनामिका खुदकुशी पर कांग्रेस ने दावा किया कि लड़की को धमकियां मिल रही थी। उसे एक हफ्ते से धमकी मिल रही थी।
कांग्रेस ने बताया सबसे खतरनाक घोटाला
सुरजेवाला ने कहा कि इस मामले की सच्चाई की तह तक पहुंचने, दोषियों को सजा दिलाने और अब तक 45 मौतों के लिए जिम्मेदार इस घोटाले की निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए। यह अब तक सबसे गंभीर और खतरनाक घोटाला है। उन्होंने कहा कि अब तक जितनी भी मौतें हुई हैं, उसकी जांच के अब तक कोई आदेश नहीं दिए गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि शिवराज को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए और मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए। यह जांच शिवराजसिंह को सीएम पद से हटाकर होनी चाहिए।
शिवराज के करीबी भी आरोपी
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि शिवराज के करीबी मंत्री, अधिकारी इस घोटाले में आरोपी हैं। शिवराज के करीबी कुछ और लोग इसमें आरोपी हैं। शिवराज सिंह इस पूरे मामले में झूठ बोल रहे हैं। एसआईटी और एसटीएफ ने अब तक शिवराज से पूछताछ क्यों नहीं की। व्यापमं घोटाले को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी से दस सवाल पूछे हैं। मसलन, बिना शिवराज की जानकारी के यह घोटाला कैसे हुआ? शिवराज घोटाले को क्यों नहीं रोक पाए? घोटाले की जांच अब तक क्यों शुरू नहीं हुई? निष्पक्ष जांच के लिए शिवराज इस्तीफा क्यों नहीं दे देते आदि?
कांग्रेस ने पूछे दस सवाल...
1. सात साल में 76 लाख विद्यार्थी व्यापमं के जरिए परीक्षा में शामिल हुए। यह समय 2007 से 2013 तक का है। अत: मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार व भाजपा को यह बताना चाहिए कि यह घोटाले उनकी जानकारी व सहभागिता के बिना कैसे चलता रहा।
2. पीएमटी घोटाले का पर्दाफाश 2009 में हुआ था। मुख्यमंत्री, पुलिस, प्रशासन को इसकी जानकारी उसी समय मिली। ऐसे में राज्य के सर्वोच्च पदाधिकारियों की जानकारी के बिना यह कैसे जारी रहा।
3. मध्यप्रदेश की विधानसभा में जनवरी 2014 को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने बयान दिया था। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि 17 दिसंबर 2009 को इस घोटाले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई। 27 जनवरी, 2011 को उसकी बैठक हुई। पर, उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। इस संबंध में जो रिपोर्ट आई उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया।
4. शिवराजसिंह चौहान के निकट सहयोगी रहे तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा पर 2013 में इस मामले में एफआईआर हुई। छह माह बाद उनकी गिरफ्तारी हुई। शिवराजसिंह चौहान के निजी सचिव प्रेमचंद प्रसाद को भी इस मामले में एसआईटी व एसटीएफ ने गिरफ्तार किया। फिर जमानत मिल गई। आखिर उनके निकट सहयोगी की कैसे इसमें संलिप्तता है।
5. शिवराजसिंह चौहान जिस एनजीओ के आज भी अध्यक्ष हैं, उसके उपाध्यक्ष डॉ अजय शंकर मेहता, मध्यप्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष कुलदीप शर्मा, शिवराजसिंह के समाज के अध्यक्ष गुलाब सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के रिश्तेदार सुरजीत सिंह भदौरिया भी इस मामले में आरोपी हैं। पर, उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है। क्या ऐसे में शिवराजसिंह चौहान तक घोटाले के तार नहीं पहुंचते हैं।
6. शिवराजसिंह चौहान स्वयं मेडिकल शिक्षा मंत्री थे, तो पीएमटी घोटाले की जांच उनके खिलाफ क्यों नहीं हो।
7. जब एसआइटी को स्वयं जान का खतरा है, तो वह प्रमाणिकता से इसकी जांच कैसे कर पाएगी।
8. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल पत्रकार अक्षय सिंह मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी ऐसी ही बात कही। पर, कल ही शिवराजसिंह चौहान ने इसे सिरे से खारिज कर दिया, तो क्या शिवराजसिंह अपनी ही सरकार की बात नहीं सुन रहे हैं। या फिर, अलग-अलग स्वर में बोलने का आरएसएस का जो क्लासिक तरीका है, उसे अपना रहे हैं और अलग-अलग बयान देकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।
9. शिवराजसिंह चौहान कह रहे हैं कि हाइकोर्ट की जबलपुर बेंच का निर्देष है सीबीआई जांच के विरुद्ध है। वे देश को भ्रमित कर रहे हैं। हाइकोर्ट ने कभी सीबीआई जांच से मना नहीं किया है।
10. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को अविलंब इस मामले में पद से बर्खास्त कर देना चाहिए। ताकि मामले की निष्पक्ष व त्वरित जांच हो।