18 Apr 2024, 18:14:03 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

संविधान, देश की एकता को बचाने के लिए संघर्ष करेंगे समाजवादी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 13 2019 1:44AM | Updated Date: Jul 13 2019 1:44AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। देश के संविधान एवं जनतंत्र को बचाने के लिए समाजवादियों को अपने महानायकों से प्रेरणा लेकर नये सिरे से एकजुट होकर संघर्ष करना पड़ेगा। शुक्रवार से प्रारम्भ हुए समाजवादी समागम के उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने एक मत होकर इस विचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। यह समागम दो दिन चलेगा, जिसमें देश के 13 राज्यों के समाजवादी भाग ले रहे हैं। तीन सत्रों में चले इस समागम में वर्तमान चुनौतियां एवं समाजवादी विकल्प, समाजवादी घोषणापत्र, श्रमिक आंदोलन के समक्ष चुनौतियां, युवाओं के समक्ष शिक्षा और रोजगार की चुनौती, साम्प्रदायिकता, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता, पर्यावरण संकट, जन  स्वास्थ्य, वैकल्पिक विकास की अवधारणा, चुनाव सुधार और महिला हिंसा, यौन उत्पीड़न और नर -नारी समता पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

वक्ताओं में समाजवादी विचारक राजकुमार जैन, प्रो. आनंद कुमार, हरभजन सिंह सिद्धू, न्यायमूर्ति बी. जी. कोलसे पाटिल, थम्पन थॉमस, मंजू मोहन, चंद्रा अय्यर, पुतुल, सुशीला मोरले, वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी पंडित राम किशन, पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह, शिक्षाविद् रमाशंकर सिंह, कुर्बान अली, महेंद्र शर्मा, टी. एन. प्रकाश और अन्य समाजवादी  शामिल हुए। जेएनयू के प्रो.एवं  समाजविज्ञानी डॉ आनंद कुमार ने कहा कि समाजवाद की सही मायने में परिभाषा  संपत्ति का सामाजिक स्वामित्व, गरीबी और गैरबराबरी को खत्म करना, गरीबों-वंचितों-दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों के हितों के लिए लड़ना है।

उन्होंने कहा कि रोजगार के अधिकार को राष्ट्रीय मान्यता देना चाहिए। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर किया की महात्मा गांधी ने आज़ादी के आंदोलन में संस्था और संगठन को बनाने और मजबूत करने का काम किया और हमें भी इस काम को प्राथमिकता पर अपने हाथ में लेना चाहिए। उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण देते हुए समाजवादी रामशंकर सिंह ने कहा कि समाजवादी विचार और सिद्धांत आज भी उत्कृष्ट एवं सर्वमान्य हैं लेकिन इनके प्रचार-प्रसार के लिये सबको अपनी-अपनी जगह पर डटकर काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक में समाजवाद के नाम पर सत्ता में पहुँचे लोगों ने परिवारवाद, जातिवाद और वंशवाद के कारण इस सुंदर विचार की एक विकृत छवि बना दी है।

इस छवि को सुधारना समय की जरूरत है,  रमाशंकर सिंह ने पर्यावरण एवं हरियाली के मुद्दे को समाजवादियों के कार्यक्रम में शामिल करने की जरूरत बताते हुए कहा कि युवाओं को समाजवाद के सिद्धांत से परिचित करने की आवश्यकता है। प्रो. राजकुमार जैन ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि समाजवादियों का एक गौरवशाली संघर्ष  का इतिहास रहा है, नयी पीढ़ी को विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों के जरिए एक गौरवशाली इतिहास से परिचित कराना चाहिए एवं विभिन्न मुद्दों पर आंदोलन चलने के लिए सामान विचार के लोगों, संगठनों और दलों के बीच संभव एकता कायम करनी चाहिए। हिन्द मजदूर सभा के संयोजक श्रमिक नेता हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि मौजूदा सरकार श्रम कानूनों को कमजोर कर ऐसी स्थिति निर्मित कर रही है जिसमें मेहनतकश वर्ग की दुर्गति निश्चित है।

अंग्रेजों के शासन से भी बदतर हालात होने जा रहे हैं, ऐसी स्थिति बनाई  जा रही है कि वर्किंग क्लास न संगठन बना सकेगा न अपने हक के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन कर सकेगा। सिद्धू ने कहा की समता की कामना करने वाले संगठन और  दलों को ऐसी जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना समय की मांग है। एक ओर सरकार  सार्वजानिक क्षेत्र के उद्योगों को समाप्त कर रक्षा सहित कई क्षेत्र बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सुविधाजनक बना रही है, दूसरी और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को तरह-तरह के आरोपों से जेल में डालने का काम कर रही है।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »