नई दिल्ली। एग्जिट पोल में से अधिकतर ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की फिर सरकार बनने का अनुमान जताया है। लोकसभा की 543 में से 542 सीटों के लिए हुए मतदान बाद के 15 सर्वे में से 12 में एनडीए के स्पष्ट बहुुमत के साथ पुन: सत्ता में आने का अनुमान जताया गया है जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को बहुमत से बहुत पीछे दिखाया गया है। इन सर्वे में एनडीए को 231 से 365 सीटें जबकि यूपीए को 62 से 164 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। अन्य दलों को 69 से 159 तक सीटें मिलने की है। तीन सर्वे में एनडीए को पूर्ण बहुमत से दूर बताया गया है।
लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण का मतदान रविवार शाम समाप्त होते ही एग्जिट पोल्स के अनुमान बीजेपी के लिए अच्छी खबर लेकर आए। लगभग सभी एग्जिट पोल्स में एक बार फिर एनडीए सरकार बनने के संकेत मिल रहे हैं। मोदी लहर के आगे ऐंटी-इनकंबेंसी फैक्टर धराशायी हो गया और बिखरा दिख रहा विपक्ष मौजूदा सरकार की सत्ता को हिलाने में नाकाम रहा।
गौर करने वाली बात यह है कि यूपी में महागठबंधन भी कड़ी चुनौती दे पाने में नाकाम साबित होता दिख रहा है। विपक्ष के तमाम आरोपों के बावजूद जनता ने मोदी सरकार पर भरोसा जताया है। हालांकि केंद्र में किसकी सरकार बनेगी यह स्थिति तो 23 मई को वोटों की गिनती पूरी होने के बाद ही साफ हो पाएगी। पिछली बार एनडीए को 336, यूपीए को 60 और अन्य को 147 सीटें मिली थीं। इस बार एग्जिट पोल के नतीजों में एनडीए को रिकॉर्ड बढ़त मिली है।
अनुमान है कि लोकसभा चुनाव 2019 के परिणामों में कम से कम 336 सीटें मिल सकती हैं वहीं यूपीए सिर्फ 82 सीटों पर ही सिमट कर रह जाएगी। अन्य को 124 सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद है। जहां एनडीए का कुल शेयर करीब 48.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, यूपीए को 25 प्रतिशत पर ही संतोष करना पड़ सकता है। वहीं बताया जा रहा है कि हाल में जिन तीन राज्यों को विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी के हाथ से सत्ता छीनी थी, उन्हीं तीन राज्यों में अब बीजेपी फिर एक बार अपनी पकड़ जमाने जा रही है।
- बात अगर पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान एग्जिट पोल्स की करें तो ज्यादातर के अनुमान सही पाए गए थे। ज्यादातर एग्जिट पोल्स में बीजेपी की अगुआई में एनडीए को सरकार बनाने के करीब बताया गया था। जब नतीजे आए तो बीजेपी को खुद के दम पर बहुमत मिल गया और एनडीए 336 सीटों पर विजयी रहा। कांग्रेस 44 सीटों पर सिमटकर रह गई थी।
- एग्जिट पोल्स की नाकामी का सबसे चर्चित वाकया 2004 का है। उस वक्त ज्यादातर एग्जिट पोल्स में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के फिर सत्ता में आने की भविष्यवाणी की गई थी लेकिन नतीजे बिल्कुल उलट आए। एनडीए को 189 सीटें मिलीं और कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए को 222 सीटें मिलीं और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने।
बंगाल में दीदी को नुकसान
विभिन्न एग्जिट पोल्स यह दर्शा रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। पिछली बार 42 सीटों में से भाजपा को यहां सिर्फ दो सीटें मिली थीं। इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 11 के करीब हो रहा है। यहां कांग्रेस को दो-तीन सीटें और वामदलों को एक या दो सीटें मिल सकती है। टीएमसी को 29 सीट मिलती दिख रही हैं। उधर, यूपी में भाजपा को 80 में से करीब 50 सीटें मिलती दिख रही हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा को 73 सीटें मिली थीं।
सपा-बसपा का नहीं चला जोर
उत्तरप्रदेश में भाजपा और अपना दल ने पिछली बार 80 में से 73 सीटें जीती थीं। इस बार एग्जिट पोल्स में उसे न्यूनतम 22 और अधिकतम 68 सीटें दी गई हैं। हालांकि महागठबंधन वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाया है जैसा पहले अनुमान जताया जा रहा था। वहीं, तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक-भाजपा के मुकाबले कांग्रेस-द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन को ज्यादा सीटें मिलने के आसार हैं। बिहार में एनडीए 2014 का प्रदर्शन कायम रख सकता है। वहीं, महाराष्ट्र में एनडीए के मुकाबले यूपीए की सीटें बढ़ सकती हैं।
मप्र में मोदी का दबदबा
विभिन्न एग्जिट पोल के मुताबिक, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात के हिंदी बेल्ट में भाजपा और मोदी का दबदबा कायम रह सकता है। खासतौर पर मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद भी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रह सकता है। दक्षिण भारतीय राज्यों की बात करें तो तमिलनाडु में सीन बदल सकता है। पिछली बार एआईएडीएमके को बढ़त मिली थी, इस बार डीएमके को ज्यादा सीटें मिलती दिख रही है। बिहार में भी एनडीए फायदा होता नजर आ रहा है।
राजनीतिक हलचल शुरू
एग्जिट पोल्स आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई है। एनडीए के लीडर्स 21 मई को बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक के लिए सभी को दिल्ली बुला लिया गया है। 23 मई को आने वाले परिणामों के मद्देनजर रणनीति तय की जाएगी। वहीं यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने घटक दलों तथा सहयोगी दलों के नेताओं की बैठक अब 24 मई को बुलाई है।