नई दिल्ली। सुब्रमण्यम के मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर रहते हुए ही नवंबर 2016 में सरकार ने नोटबंदी का महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। सुब्रमण्यम ने इसी साल जून में निजी कारणों से पद छोड़ दिया था, लेकिन उसके बाद उन्होंने अपनी पुस्तक में इस फैसले को देश के लिए घातक करार दिया है।
उन्होंने अपनी इस पुस्तक ‘आॅफ काउंसेल: द चैलेंजेज आॅफ द मोदी जेटली इकोनॉमी’ में मोदी सरकार के इस फैसले के बारे में लिखा है कि नोटबंदी एक बड़ा, क्रूर, मौद्रिक झटका था- एक ही झटके में 86 प्रतिशत मुद्रा प्रचलन से बाहर हो गई। स्पष्ट रूप से इससे वास्तविक जीडीपी विकास प्रभावित हुआ। नोटबंदी से पहले की सात तिमाहियों में औसत विकास दर आठ प्रतिशत थी जो नोटबंदी के बाद की सात तिमाहियों में घटकर 6.8 प्रतिशत रह गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 08 नवंबर 2016 की रात 8 बजे राष्ट्र के नाम विशेष टेलीविजन संबोधन में अचानक 500 रुपए और एक हजार रुपए के उस समय प्रचलित 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को आम इस्तेमाल के लिए प्रतिबंधित करने की घोषणा की थी। उस दिन रात 12 बजे से यह फैसला लागू हो गया था।