नई दिल्ली। बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। तिवारी मामले में कोर्ट ने कहा कि सीलिंग मामले में मनोज तिवारी द्वारा कोर्ट की अवमानना का कोई सबूत नहीं मिली है। दरअसल, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और उत्तर-पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर आज (गुरुवार) को अपना फैसला सुनाया जाना था और कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में तिवारी को बड़ी राहत प्रदान की।
आपको बता दें कि तिवारी ने दिल्ली के गोकलपुर इलाके में एक मकान की सील तोड़ कर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की थी। इस मकान को पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) ने सील किया था। जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में दलीलें सुनने के बाद 30 अक्टूबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। केस की सुनवाई के के दौरान मनोज तिवारी ने अदालत से अधिकार प्राप्त मॉनिटरिंग कमेटी पर आरोप लगाया था कि वह सीलिंग के मुद्दे पर दिल्ली के लोगों को आतंकित कर रही है। हालांकि, समिति ने दावा किया कि वह (तिवारी) अदालत को राजनीतिक अखाड़ा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा दाखिल रिपोर्ट पर संज्ञान लेने के बाद भाजपा सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ 19 सितंबर को अवमानना नोटिस जारी किया था। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि भाजपा नेता ने जानबूझकर परिसर की सील तोड़ी है। वहीं, तिवारी ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि कमेटी ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया और यहां अनधिकृत कॉलोनियों में सीलिंग अभियान चलाया गया, जो कानून के तहत संरक्षण प्राप्त हैं।
अदालत ने मनोज तिवारी के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला बीजेपी पर छोड़ते हुए कहा कि, इसमें कोई शक नहीं है कि भाजपा ने कानून को अपने हाथ में लिया है। हम मनोज तिवारी के रवैये से बहुत आहत हैं। एक चुने हुए प्रतिनिधि के तौर पर उन्हें जिम्मेदारी से काम करना चाहिए था न कि कानून को अपने हाथ में लेकर।