नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में 38 साल बाद एक आरोपी को बरी कर दिया है। दरअसल, आरोपी के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत नहीं होने के चलते कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया है। बता दें कि आरोपी को निचली अदालत और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 15 जुलाई 1983 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला यूपी के कासगंज जिले के पटियाली थाने इलाके का है। 25 दिसंबर 1980 को शाम के पांच बजे सियाराम और उसका बेटा कृपाल पंचायत में भाग लेने जा रहे थे। इस दौरान कथित तौर पर आरोपी रामवीर और अन्य पांच मौके पर आए। सभी आरोपी हथियारों से लैस थे।
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने राइफल से गोलियां चलाईं। इस दौरान गोली लगने से सियाराम की मौके पर ही मौत हो गई। गोलियां चलने से लोग वहां इक्ट्ठा हो गए लेकिन आरोपी हवा में गोली चलाकर लोगों को डराकर मौके से फरार हो गया।
इस दौरान मौके पर मृतक के चाचा भी पहुंचा और उनके बयान के आधार पर पुलिस ने हत्या (आईपीसी की धारा-302) और हथियारों के बल पर उपद्रव करने (आईपीसी की धारा-148) और गैर कानूनी काम करने (आईपीसी की धारा-149) का मामला दर्ज कर लिया। 15 जुलाई 1983 को निचली अदालत में मामले की सुनवाई हुई और कोर्ट ने रामवीर को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई जबकि बाकी पांच आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया।