नई दिल्ली। इस खौफनाक हादसे के चार महीने बाद अब इसी मामले में दिल्ली पुलिस ने एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। खुलासा ये कि बुराड़ी के उस घर में उस रात जो कुछ भी हुआ वो ना तो कत्ल था और ना ही खुदकुशी, बल्कि वो सिर्फ एक हादसा था। बुराड़ी का वो घर आपको याद होगा, जहां एक ही परिवार के 11 सदस्य फांसी के फंदे पर लटके पाए गए थे, वो भी मुर्दा। वहां से छानबीन में एक रजिस्टर मिला था।
जिसमें लिखा था- आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी... लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज कर देना, मैं तुम्हे बचा लूंगा। जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना। तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे, मगर उन्हें कोई बचाने नहीं आया और 11 लाशों के साथ वो घर एक झटके में श्मशान बन गया।
इस कांड को सुलझाने के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कोई पहलू नहीं छोड़ा और आखिरकार करीब 4 महीने बाद क्राइम ब्रांच इस नतीजे पर पहुंची है कि 1 जुलाई 2018 को हुआ बुराड़ी कांड खुदकुशी नहीं बल्कि हादसा था। दरअसल क्राइम ब्रांच ने बुराड़ी के इस मकान में मिली 11 लाशों के दिमाग की साइकोलॉजिकल अटोप्सी करवाई थी।
साइकोलॉजिकल एनलासिस रिपोर्ट है, जिसमें साफ लिखा है कि साइकोलॉजिकल अटोप्सी से पता चला है कि बुराड़ी कांड सुसाइड नहीं बल्कि पूजा के दौरान हुआ एक हादसा था। इस हादसे में शामिल किसी भी सदस्य को नहीं पता था कि ऐसा करते वक्त उनकी मौत हो जाएगी।