नई दिल्ली। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल जमीर उद्दीन शाह की पुस्तक 'द सरकारी मुसलमान' के विमोचन के मौके पर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 2002 के गुजरात दंगों का उल्लेख किया। हामिद अंसारी ने कहा तत्कालीन केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 355 का इस्तेमाल क्यों नहीं किया, जबकि उसके रक्षा मंत्री मौके पर थे। अंसारी ने यह टिप्पणी लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जमीर उद्दीन शाह की पुस्तक 'द सरकारी मुसलमान' के विमोचन के मौके पर कही।
जिन्होंने सेना की उस डिविजन का नेतृत्व किया था, जिसने गुजरात में दंगों को शांत कराया था। पूर्व उप राष्ट्रपति अंसारी ने यह भी कहा कि 'आतंकवाद का कोई सैन्य हल' नहीं है, क्योंकि सामान्य स्थिति लोगों का दिल और दिमाग जीतकर ही बहाल की जा सकती है। अंसारी ने दंगों पर शाह की पुस्तक की कुछ टिप्पणियों को उद्धृत करते हुए कहा, 'नागरिक प्रशासन की प्रारंभिक प्रतिक्रिया सुस्त थी, कर्फ्यू का आदेश दे दिया गया था लेकिन वह लागू नहीं हुआ था। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, 'यदि नागरिक और पुलिस प्रशासन कानून एवं व्यवस्था की बड़े पैमाने पर विफलता पर प्रतिक्रिया नहीं जताता तो लोकतांत्रिक और संसदीय प्रणाली में जिम्मेदारी कहां है।