नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य है कि वह प्रत्येक क्लास के सिलेबस में लगभग 50 फीसदी की कटौती करे। उन्होंने कहा कि यह काम शुरू किया जा चुका है और प्रति वर्ष 10-15 फीसदी सिलेबस को कम करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इंसान का दिमाग सिर्फ डेटा बैंक नहीं है।
केन्द्रीय मंत्री ने दावा किया कि मोदी सरकार कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल से चली आ रही सर्व शिक्षा अभियान को समग्र शिक्षा अभियान से बदलने का काम करेगी। इस योजना के तहत केन्द्र सरकार और राज्य सरकार स्कूलों को स्पोर्ट्स के सामान खरीदने के लिए पैसे देने का काम करेगी। लिहाजा नई शिक्षा नीति के तहत जहां बच्चों के सिलेबस को कम कर आधा किया जाएगा वहीं स्कूल के बच्चों को बच्चों को कोई न कोई खेल खेलना भी जरूरी हो जाएगा जिससे उनका समग्र विकास किया जा सके और वह भविष्य की सभी चुनौतियों के लिए तैयार हो सके।
स्किल डेवलपमेंट सरकार की प्राथमिकता
स्किल डेवलपमेंट को एचआरडी मंत्रालय के अधीन न कर क्यों अलग मंत्रालय बनाया गया के सवाल पर जावड़ेकर ने कहा कि किसी बड़े काम के लिए अलग मंत्रालय बनाने से उस काम को बेहतर ढंग से किया जा सकता है। पहले 5 लेवल के स्किल डेवलपमेंट केन्द्र सरकार के लिए प्रमुख प्राथमिकता है लिहाजा इसके लिए अलग मंत्रालय गठित किया गया है। वहीं उच्च स्तर पर स्किल डेवलपमेंट को पहले की तरह एचआरडी मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में ही रखा गया है।
वहीं यूजीसी के भविष्य पर बोलते हुए जावड़ेकर ने कहा कि यूजीसी का गठन ऐसे वक्त में किया गया जब देश में कम यूनिवर्सिटी और कॉलेज थे। ऐसे वक्त में यूजीसी इनके लिए सबकुछ तय करने की स्थिति में था और वह रेगुलेटर से अधिक काम करता रहा। लेकिन अब देश में जहां हजारों की संख्या में कॉलेज और यूनिवर्सिटी और लाखों की संख्या में छात्र हैं तो यूजीसी की भूमिका में बदलाव की जरूरत है।
जावड़ेकर ने कहा कि मोदी सरकार का मानना है कि रेगुलेटर का काम अलग होना चाहिए। गौरतलब है कि दिल्ली में एजुकेशन एंड स्किल समिट का सातवां संस्करण संस्करण आयोजित किया गया। इस समिट के पहले सत्र शिक्षा और रोजगार में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शिरकत की।