नई दिल्ली। देश के विश्वविद्यालयों में 29 सितम्बर को सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मानाने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मानाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से जारी परिपत्र को वापस लेने की मांग की है। पार्टी पोलित ब्यूरो ने शनिवार को जारी विज्ञप्ति में कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर आयोग ने यह परिपत्र जारी किया है जो आपत्तिजनक है क्योंकि सत्तारूढ़ दल की इसके जरिये देश में उन्मादी राष्ट्रवाद का माहौल बनाने की मंशा है और इस तरह वह अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहता है।
पार्टी ने कहा है कि जब इस परिपत्र को लेकर बहुत विवाद खड़ा हो गया तो प्रकाश जावड़ेकर का यह कहना था कि 'इस परिपत्र का पालन करना अनिवार्य नहीं है', दरअसल उनके बहुत कमजोर बचाव को दर्शाता है। गौरतलब है कि शुक्रवार को कांग्रेस और तृणमूल ने भी सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मनाने का कड़ा विरोध किया था जबकि जेएनयू के कुलपति ने कहा कि वे 29 सितम्बर को यह दिवस मनाएंगे।
सर्जिकल स्ट्राइक की वर्षगांठ पर 'पराक्रम पर्व'
सरकार जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आतंकवादी ठिकानों पर सेना की सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ पर देश भर में तीन दिन का 'पराक्रम पर्व' मनायेगी। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि 28 से 30 सितम्बर तक हम अपनी सेनाओं की बहादुरी तथा वीरता का जश्न मनायेंगे। इस दौरान देश भर में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। इंडिया गेट के पास तीन दिन की प्रदर्शनी लगायी जायेगी जिसमें सेना की वीरता की झलक देखने को मिलेगी। प्रदर्शनी में वीर जवानों के नाम स्कूली बच्चों के पत्रों, पोस्टर तथा पेंंिटग को भी प्रदर्शित करने की योजना बनायी गई है।