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राफेल डील पर फ्रांस सरकार का बयान- हमने नहीं चुनी भारतीय कंपनी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 22 2018 9:56AM | Updated Date: Sep 22 2018 9:56AM
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नई दिल्ली। देश में राफेल पर छिड़ी सियासी जंग के बीच एक नया मोड़ आ गया है। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा है कि राफेल सौदे के लिए भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था और दैसॉ एविएशन कंपनी के पास दूसरा विकल्प नहीं था। फ्रांस की एक पत्रिका में छपे इंटरव्यू के मुताबिक ओलांद ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से ही रिलायंस का नाम दिया गया था।

इसे चुनने में दैसॉ एविएशन की भूमिका नहीं है। ओलांद ने कहा कि भारत की सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, उससे दैसॉ ने बातचीत की। दैसॉ ने अनिल अंबानी से संपर्क किया। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। हमें जो वार्ताकार दिया गया, हमने स्वीकार किया

सरकार का दावा खारिज
ओलांद की यह बात सरकार के दावे को खारिज करती है जिसमें कहा गया था कि दैसॉ और रिलायंस के बीच समझौता एक कमर्शियल पैक्ट था जो कि दो प्राइवेट फर्म के बीच हुआ। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस आर्टिकल को रीट्वीट करते हुए ओलांद से पूछा कि कृपया आप हमें यह भी बताएं कि राफेल की 2012 में 590 करोड़ की कीमत 2015 में 1690 करोड़ कैसे हो गई। मुझे पता है कि यूरो की वजह से इस कैलकुलेशन की दिक्कत नहीं है।
 
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद का खुलासा
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्त ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के द्वारा दिए गए बयान वाली रिपोर्ट की पुष्टि की जा रही है। यह फिर से दोहराया जाता है कि इस समझौतै में न तो भारत सरकार और न ही फ्रांस सरकार की कोई भूमिका थी। बता दें कि कांग्रेस इस बात को लेकर सरकार को घेरती रही है कि इस डील में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को क्यों नहीं शामिल किया गया। इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जवाब दिया कि यह समझौता दो प्राइवेट कंपनियों के बीच हुआ था।
 

 

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