नई दिल्ली। देश के मौजूदा विधायकों की खुद की औसत सालाना आय 24.59 लाख रुपए है। कर्नाटक के विधायकों की औसत सालाना आय सबसे ज्यादा एक करोड़ रुपए से अधिक है जबकि छत्तीसगढ़ के विधायकों की औसत आय सबसे कम है। सोमवार को चुनाव सुधार के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के ताजा सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है।
छत्तीसगढ़ के विधायकों की औसत सालाना आय देशभर में सबसे कम 5.4 लाख रुपए ही है। अध्ययन के मुताबिक विधायकों में महिला और पुरूषों की आय में भारी अंतर दिखाई देता है। पुरूष विधायकों की औसत आय महिला विधायकों के मुकाबले दोगुने से भी अधिक है। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि जिन विधायकों ने अपने आप को अशिक्षित बताया है उनकी अपनी औसत सालाना आय 9.31 लाख रुपए है। कुल विधायकों में से करीब आधे विधायकों ने अपना व्यवसाय कृषि या फिर कारोबार बताया है।
विधायकों के शपथ पत्र का किया विश्लेषण
चुनाव सुधारों की वकालत करने वाले इस समूह ने कहा है कि इस अध्ययन के लिए देशभर के मौजूदा 4,086 विधायकों में से 3,145 विधायकों द्वारा दिए गए शपथपत्र का विश्लेषण किया गया। इनमें 941 विधायकों ने अपनी आय की घोषणा नहीं की है इसलिए उन्हें इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है।
इस अध्ययन में वर्तमान विधायकों की खुद की सालाना आय पर ही गौर किया गया है। अध्ययन के मुताबिक मौजूदा 3,145 विधायकों की औसत सालाना आय 24.59 लाख रुपए है जबकि इसमें से दक्षिणी क्षेत्र के 711 विधायकों की औसत सालाना आय सबसे ज्यादा 51.99 लाख रुपए आंकी गई है। वहीं पूर्वी क्षेत्र के 614 विधायकों की औसत सालाना आय सबसे कम 8.53 लाख रुपए रही है।
आय के मामले में कर्नाटक आगे
राज्यवार अध्ययन के मुताबिक कर्नाटक के 203 विधायकों की औसत सालाना आय सबसे ज्यादा 111.4 लाख रुपए है। वहीं बाद महाराष्ट्र के विधायकों की औसत आय 43.4 लाख रुपये रही है। इसमें महाराष्ट्र के 256 विधायकों का विश्लेषण किया गया। छत्तीसगढ़ के जिन 63 विधायकों की आय का विश्लेषण किया गया वो देशभर में सबसे कम 5.4 लाख रुपए रही है।
इसके बाद झारखंड के विधायकों की आय इससे कुछ ज्यादा 7.4 लाख रुपये दर्ज की गई है। अध्ययन में शामिल 771 विधायकों यानी 25 प्रतिशत ने अपना पेशा कारोबार, व्यवसाय बताया है जबकि 758 यानी 24 प्रतिशत ने खेती किसानी को अपना पेशा बताया है। रीयल एस्टेट और फिल्म निर्माण अथवा अभिनय के क्षेत्र को केवल एक प्रतिशत विधायकों ने ही अपना पेशा बताया है। हालांकि कमाई के मामले में ये सबसे ऊंची श्रेणी में हैं।