नई दिल्ली। भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने कहा है कि वह भारत छोड़ने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिला था। वह उस दौरान वह मामला सुलझाना चाहता था। माल्या ने यह बात बुधवार को ब्रिटेन के लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्रत्यर्पण की सुनवाई के बाद कोर्ट के बाहर कहीं। माल्या के मुताबिक भारत छोड़ने से पहले मैं वित्त मंत्री से मिला था।
मेरे पास तब मामला रफा-दफा करने वाले कुछ कागजात भी थे, जिन पर बैंकों ने आपत्ति जताई थी। मैंने बैंकों के साथ मामला सुलझाने के लिए दोबारा आॅफर भी दिया था। बैंकों ने निपटारे के प्रस्ताव वाली मेरी चिट्ठियों पर आपत्ति दर्ज की थी। माल्या ने कहा कि उसे राजनीति का शिकार बनाया गया है। इससे पहले माल्या के वकील ने दावा किया था कि कर्ज में डूबी किंगफिशर एयरलाइन को हुए नुकसान के बारे में आईडीबीआई बैंक के अधिकारियों को जानकारी थी।
इसलिए देश छोड़कर गया था
माल्या ने कहा मैं देश छोड़ कर तब इसलिए गया था, क्योंकि मुझे जेनेवा में एक बैठक में जाना था। जाने से पहले मैं वित्त मंत्री से मिला था। मैंने बैंकों से मामला सलटाने की बात दोहराई थी। यही सच है। शराब कारोबारी ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष भी उन्होंने मामला रफा-दफा कराने के लिए प्रस्ताव रखा था, जिसमें उन्होंने कर्ज की रकम चुकाने की बात कही थी।
इस मामले में फंसा है शराब कारोबारी
माल्या इस वक्त फजीर्वाड़े और मनी लॉन्डरिंग के मामले में फंसा हुआ है। माल्या पर भारतीय बैंकों से करीब 9000 करोड़ रुपये के लोन की धोखाधड़ी का आरोप है। इससे पहले जुलाई में वेस्टमिन्स्टर मजिस्ट्रेट की अदालत की न्यायाधीश एमा अर्बुथनाट ने संदेहों को दूर करने के लिए भारतीय अधिकारियों से आॅर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 का सिलसिलेवार वीडियो जमा करने को कहा था।
चार साल से नहीं मिला - जेटली
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर लिखा कि माल्या का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है। 2014 (चार साल) से अब तक मैंने कभी भी उन्हें मुलाकात के लिए वक्तनहीं दिया। ऐसे में मेरी उनसे मुलाकात का प्रश्न ही नहीं उठता है। जेटली ने आगे लिखा कि राज्यसभा सदस्य होने के नाते एक मौके पर माल्या ने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हुए मुलाकात की कोशिश की थी। एक दिन सदन से मैं अपने कक्ष की तरफ जा रहा था तभी माल्या तेजी से मेरी तरफ बढ़े और कहा- 'मैं सेटलमेंट का आॅफर कर रहा हूं।' सेटलमेंट के उनके झूठे वादों के बारे में मैं पहले ही सुन चुका था तो इसलिए वे बात आगे बढ़ाते इससे पहले ही मैंने उन्हें रोकते हुए कहा कि मुझसे बात करने का कोई फायदा नहीं है, उन्हें बैंकों को यह आॅफर देना चाहिए। वित्त मंत्री ने आगे लिखा कि उस वक्त माल्या के हाथ में कुछ पेपर्स थे जिन्हें लेने से उन्होंने साफ इनकार कर दिया था।