नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों के अधिक एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स के लिए बैंकर्स और आर्थिक मंदी के साथ फैसले लेने में यूपीए और एनडीए सरकारों की सुस्ती को जिम्मेदार बताया है। रघुराम राजन ने संसदीय समिति को दिए जवाब में कहा कि सबसे अधिक बैड लोन 2006 से 2008 के बीच दिया गया। इन दिनों एनपीए समस्या पर सरकार और विपक्ष में जंग छिड़ी हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनपीए के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार को घेर रहे हैं।
एस्टिमेट कमेटी के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को भेजे नोट में रघुराम राजन ने कहा कि कोयला खदानों के संदिग्ध आवंटन के साथ जांच की आशंका जैसे राजकाज से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के कारण यूपीए और उसके बाद एनडीए सरकार में निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी हुई। उन्होंने कहा कि इससे रुकी परियोजनाओं की लागत बढ़ गई। इससे कर्ज की अदायगी में समस्या पैदा हुई। सबसे अधिक बैड लोन 2006 से 2008 के बीच दिया गया, जब आर्थिक विकास मजबूत था और पावर प्लांट्स जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स समय पर बजट के भीतर पूरे हो गए थे। संसदीय समिति ने राजन को इस मामले पर जानकारी देने के लिए आमंत्रित किया था।
पीएमओ को दी थी घोटालेबाजों की लिस्ट, एक को भी नहीं पकड़ा
रघुराम राजन ने संसदीय समिति को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि उन्होंने देश में हाई प्रोफाइल घोटालेबाजों की एक लिस्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी लेकिन उन पर क्या कार्रवाई हुई, उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। जब मैं गवर्नर था तब आरबीआई ने फ्रॉड मॉनिटरिंग का एक विभाग बनाया था ताकि छानबीन करने वाली एजेंसी को फ्रॉड केस की जानकारी उपलब्ध कराई जा सके।
मैंने तब पीएमओ को हाई प्रोफाइल फ्रॉड केस की लिस्ट भेजी थी और उनमें से किसी एक या दो घोटालेबाज की गिरफ्तारी के लिए कॉर्डिनेशन की गुजारिश की थी। मुझे नहीं मालूम कि उस बारे में क्या प्रगति हुई है। यह ऐसा मामला है जिस पर तत्परता से कार्रवाई होनी चाहिए थी। राजन ने कहा कि दुर्भाग्यवश किसी भी एक बड़े घोटालेबाज की गिरफ्तारी नहीं हो सकी, इस वजह से ऐसे मामलों में कमी नहीं आ सकी। राजन सितंबर 2013 से सितंबर 2016 तक आरबीआई के गवर्नर थे।
कोयला घोटाले का ऐसे पड़ा असर
रघुराम राजन ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई में चली यूपीए सरकार के समय हुए कोयला घोटाला राजकाज से जुड़ी विभिन्न समस्याएं ही इसकी बड़ी वजह है। कोयला खदानों के संदिग्ध आबंटन के साथ जांच की आशंका जैसे राजकाज से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के कारण यूपीए सरकार तथा उसके बाद एनडीए सरकारों दोनों में सरकारी निर्णय में देरी हुई। राजन ने कहा कि इससे परियोजना की लागत बढ़ी और वे अटकने लगीं। इससे कर्ज की अदायगी में समस्या हुई है।
बैंकों ने की ये गलतियां
- राजन ने कहा कि बैंकों ने भी गलतियां की। उन्होंने पूर्व के विकास और भविष्य के प्रदर्शन को गलत आंका। वे प्रोजेक्ट्स में अधिक हिस्सा लेना चाहते थे। वास्तव में कई बार उन्होंने प्रमोटर्स के निवेश बैंकों के प्रोजेक्ट्स रिपोर्ट के आधार पर ही बिना उचित जांच-पड़ताल किए साइन कर दिए।
- निश्चित रूप से बैंक अधिकारी अति आत्मविश्वास से भरे थे और उन्होंने संभवत: इनमें से कुछ कर्ज के लिए काफी कम जांच पड़ताल की।
ऐसे सुधर सकता है मामला
एनपीए में दोबारा वृद्धि को रोकने के लिए जरूरी कदमों को लेकर राजन ने सलाह दी कि सरकारी बैंकों में प्रशासन और प्रोजेक्ट्स के आंकलन व निगरानी की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। रिकवरी प्रकिया को भी मजबूत बनाना होगा।
भाजपा का हमला
भाजपा ने नैशनल हेरल्ड केस और रघुराम राजन के बयान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर जमकर हमला बोला है। मंगलवार को स्मृति इरानी ने कहा कि इससे कांग्रेस के भ्रष्टाचार का साफ पता चलता है।
कांग्रेस का जबाव
कांग्रेस ने भी मोदी सरकार पर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि एनपीए के लिए भाजपा सरकार भी जिम्मेदार है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि एनडीए सरकार में एनपीए में 12 लाख करोड़ की बढ़ोतरी हो गई।