नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने एक साक्षात्करा में कहा कि घृणा और भीड़ हत्या जैसे मामलों में शामिल लोग खुद को राष्ट्रवादी नहीं कह सकते हैं। ऐसे मामलों को रोकने के लिए सिर्फ कानून पर्याप्त नहीं है बल्कि व्यवहार में बदलाव लाना भी बहुत जरूरी है।
उपराष्ट्रपति ने भीड़ हत्या जैसी घटनाओं के राजनीतिकरण पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं को राजनीतिक दलों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, सामाजिक बदलाव की जरूरत है। यह किसी पार्टी की वजह से नहीं है।
जैसे ही आप इन्हें दलों से जोड़ते हैं, मुद्दा खत्म हो जाता है। बेहद स्पष्ट तरीके से बता दूं कि यही हो रहा है। घृणा और भीड़ हत्या की घटनाओं के बारे में उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह कोई नया चलन नहीं है, पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं।