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5 राज्यों में बाढ़ ने ली 993 लोगों की जान, 17 लाख लोगों को बनना पड़ा शरणार्थी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 28 2018 9:47AM | Updated Date: Aug 28 2018 9:47AM
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नई दिल्ली। केरल समेत देश के कुल 5 राज्यों में इस मानसून के दौरान आई जल त्रासदी ने करीब 17 लाख लोगों को अपने घर छोड़कर शरणार्थी बनने को मजबूर कर दिया। इसके अलावा बारिश और बाढ़ की स्थितियों में सिर्फ पांच राज्यों के भीतर 993 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
 
गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार बारिश और बाढ़ के कारण 22 अगस्त 2018 तक कुल 993 लोगों की मौत हुई, इनमें सिर्फ केरल में करीब 400 लोगों को बाढ़ के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2018 में बाढ़ के कारण करीब 70 लाख लोग प्रभावित हुए, जिनमें करीब 17 लाख लोगों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में पनाह लेनी पड़ी।
 
रिपोर्ट के मुताबिक केरल के अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। 22 अगस्त 2018 तक केरल में कुल 387 लोगों की मौत की रिपोर्ट्स सामने आई थी और अब वर्तमान स्थितियों में मौत का आंकड़ा 400 से अधिक होने की बात कही जा रही है। 
 
असम में 11.46 लाख बने कैंप में शरणार्थी 
केरल के अलावा बारिश और बाढ़ के कारण उत्तर प्रदेश में 204, पश्चिम बंगाल में 195, कर्नाटक में 161 और असम में 46 लोगों की मौत हुई। केरल में बाढ़ के कारण करीब 54 लाख लोगों को विषम परीस्थितियों का सामना करना पड़ा, जिनमें 14.52 लाख लोगों को राहत कैंपों में शरण लेनी पड़ी। इसके अलावा असम में 11.46 लाख लोग बाढ़ के कारण प्रभावित हुए, जिनमें से 2.45 लाख लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया। 
 
अब तक नहीं हो सके हैं पुख्ता बंदोबस्त
पिछले कई सालों से हर बार बाढ़ की ऐसी स्थितियों और आम लोगों की मौत के आंकड़े के बावजूद केंद्र सरकार राज्यों को बाढ़ राहत के लिए एक विशेष फंड बनाने की दिशा में राजी नहीं कर सकी है। हाल में गृह मंत्रालय द्वारा देश के अलग-अलग जिलों में बाढ़ के पूवार्नुमान और राहत इंतजामों को लेकर कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आ चुकी है, कि करीब-करीब हर राज्य में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद नहीं हैं। इन सब के बावजूद हर साल होने वाली ऐसी स्थितियों के लिए अब तक कोई ठोस इंतजाम ना हो पाना अब लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। 
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