नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने अनाथालय से बच्चों के लगातार गायब होने पर कड़ी टिप्पणी की है और नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने सीधे-सीधे व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि केंद्र स्तर और राज्य स्तर पर शेल्टर होम की निगरानी के लिए कमिटी बनाई जाए।शीर्ष अदालत ने शेल्टर होम में बच्चों की संख्या में तेजी से आई कमी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उनके पास भी दिल और आत्मा है। आखिर बच्चों की संख्या में इतनी कमी क्यों आई। कोर्ट ने कहा कि अगर खख अउळ ठीक से लागू होता तो देवरिया और मुजफ्फरपुर जैसी घटनाएं नहीं होतीं।
केंद्र सरकार ने अपने आंकड़ों में कहा है कि साल 2016 में अनाथालयों में रहने वाले बच्चों की संख्या 4 लाख थी जो वर्ष 2018 में घटकर महज 2 लाख हो गई है। देश में 9569 शेल्टर होम हैं जिसमें से 5764 रजिस्टर्ड नहीं हैं। 50 फीसदी से ज्यादा शेल्टर होम ओवर क्राउडेड यानी क्षमता से बहुत अधिक हैं।बच्चों की संख्या में आई कमी को लेकर केंद्र सरकार ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में राज्यों से बात कर जवाब दाखिल करेगी।
वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन में रहने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर ये बच्चे कहां गए? ये जो संख्या है वो अलार्मिंग है? केंद्र सरकार ने कहा की 2016 के सर्वे के मुताबिक 4 लाख 70 हजार बच्चे अनाथालय समेत दूसरे संस्थान में थे लेकिन हउऊ की मिनिस्ट्री ने 2018 में जो आंकड़े दिए है उसमें 2 लाख 61 हजार बच्चे ही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा कि इन शेल्टर होम को कैसे मॉनिटर किया जाए इसको लेकर कोई योजना बनाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जितने बच्चों की संख्या कम हुई है आखिर वो कहां गए? कितने बच्चे गुमशुदा हैं इसका क्या कोई डाटा है?।