नई दिल्ली। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने अगले 10 साल के दौरान बाढ़ और बारिश से होने वाली मौतों एवं संपत्तियों के नुकसान पर एक अनुमान लगाया है। एनडीएमए के इस अनुमान को अगर सही मानें तो अगले एक दशक में प्राकृतिक आपदा से 16,000 लोगों की मौत हो जाएगी और 47,000 करोड़ रुपए से अधिक संपत्तियों का नुकसान होगा। खबरों के मुताबिक भारत के पास प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने वाले सर्वाधिक उन्नत उपग्रह और चेतावनी जारी करने वाली प्रणाली है। इसके बावजूद ऐसा लगता है कि आपदा से उबरने के लिए क्षमता निर्माण एवं आपदा खतरे में कमी (डीआरआर) लाने का सरकार का सारा जोर कागजों तक सिमट कर रह गया है।
सरकार की केंद्रीय एजेंसी एनडीएमए ने देश में आपात स्थिति उत्पन्न होने पर केवल दिशानिर्देश जारी करने, सेमिनार और बैठकें करने तक खुद को सीमित कर लिया है। इस बारे में जब एनडीएमए से संपर्क करने की कोशिश की गई तो एजेंसी के प्रवक्ता ने केरल में उठाए गए कदमों पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
बता दें कि गृह मंत्रालय ने हाल ही में देश के 640 जिलों में आपदा के खतरों के आंकलन पर एक रिपोर्ट तैयार की है। मंत्रालय ने डीआरआर के तहत राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन को आधार बनाकर एक नेशनल रेजिलिएंस इंडेक्स तैयार किया है। इस इंडेक्स को तैयार करने में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की तरफ से जोखिम आंकलन, जोखिम से रोक, आपदा से राहत एवं पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों को आधार बनाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक आपदा से उबरने की ज्यादातर राज्यों की तैयारी ढीलीढाली है और उसमें 'व्यापक सुधार' की जरूरत है।
रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर प्रदेशों ने आपदाओं की जटिलताओं एवं उसके बदलते स्वरूप और खतरों के आंकलन पर राज्य केंद्रित व्यापक मूल्यांकन नहीं किया है। हिमाचल प्रदेश को छोड़कर किसी राज्य ने भी खतरों का व्यापक आंकलन नहीं कराया है और न ही इस कार्य के लिए किसी पेशेवर एजेंसी की मदद ली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात ने एक दशक पहले एक व्यापक जोखिम आंकलन कराया था लेकिन राज्य ने न तो आंकलन को अपडेट किया है और न ही इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है।
देश के अलग-अलग हिस्सों से पहुंच रही है मदद
बीती एक सदी में सर्वाधिक भीषण बाढ़ का सामना कर रहे केरल में लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से यहां के बंदरगाह पर राहत सामग्री पहुंच रही है। राहत शिविर में बंदरगाह के कर्मचारी और उनके परिजन, सीमा-शुल्क अधिकारी और सीआईएसएफ के जवान लोगों की मदद कर रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि जहाजरानी मंत्रालय के अंतर्गत सभी प्रमुख बंदरगाहों से लायी गई राहत सामग्री को तमिलनाडु के तूतीकोरिन बंदरगाह पर संग्रहित किया जा रहा है। इसे बाद में कोचीन बंदरगाह ले जाए जाने की संभावना है।
मछुआरों ने सरकारी मदद लेने से किया इनकार
बाढ़ में फंसे सैकड़ों लोगों को बचाने के लिए व्यापक सराहना पा रहे मछुआरों के एक प्रमुख नेता ने सोमवार को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा समुदाय के प्रत्येक सदस्य को तीन हजार रुपए देने की पेशकश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। फोर्ट कोच्चि के रहने वाले खैस मोहम्मद ने एक वीडियो पोस्ट में कहा कि वह और उनके सहयोगी मुख्यमंत्री से मिली सराहना से काफी खुश हैं।
उन्होंने कहा कि कई लोगों को बचाकर मैं और मेरे दोस्त वास्तव में काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि जब हमने सुना कि हमारी सेवा के लिए तीन हजार रुपए का भुगतान किया जाएगा तो सर हमें इससे दुख हुआ क्योंकि हमने अपने साथी इनसानों की जान पैसों के लिए नहीं बचाई। उन्होंने कहा कि हालांकि सभी मछुआरे खुश हैं कि सरकार ने उन्हें उनकी क्षतिग्रस्त नावों की मरम्मत मुफ्त कराने का वादा किया है।