नई दिल्ली। हाल के वर्षों में दुनिया के कुछ देशों ने सूनामी की भयानक त्रासदी झेली है। चाहे वह 2004 में सुमात्रा-अंडमान की घटना हो या फिर 2011 में उत्तरी जापान में आई सूनामी, इस प्राकृतिक आपदा से जानमाल को हुई भीषण क्षति को कोई नहीं भुला पाया है।
शोधकतार्ओं के मुताबिक, तटीय शहरों में समुद्र का जलस्तर बढ़ने के खतरे से हर कोई वाकिफ है, लेकिन एक नए अध्ययन से पता चला है कि भूंकप के बाद आई सूनामी से तटीय शहरों के अलावा दूर-दूर बसे शहरों और बस्तियों को भी खतरा पैदा हो सकता है।
साल 2011 के बाद तोहोकु-ओकी में भूकंप के बाद आई सूनामी से उत्तरी जापान का बड़ा हिस्सा तबाह हो गया था और इससे एक परमाणु संयंत्र को भी भारी क्षति पहुंची थी और रेडियोधर्मी विकिरण पैदा हुआ था।
उधर, अमेरिका के वर्जिनिया टेक के एक सहायक प्रफेसर रॉबर्ट वेस ने कहा, 'हमारी स्टडी बताती है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने से सूनामी के खतरे काफी बढ़ गए हैं, इसका मतलब है कि भविष्य में छोटी सूनामी का भी बड़ा भयानक प्रभाव हो सकता है।' यह अध्ययन 'साइंस एडवांसेस' जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
माना जाता है कि मकाउ में 2060 में जलस्तर 1.5 फुट और 2100 में 3 फुट तक बढ़ जाएगा। साउथ चाइना सी में सूनामी का बड़ा खतरा मुख्य रूप से मनीला ट्रेंच से है। मनीला ट्रेंच में 1560 के दशक से लेकर अब तक 7.8 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप नहीं आया।
परीक्षण के लिए जलस्तर पर कृत्रिम सूनामी बनाई
इस अध्ययन के लिए शोधकतार्ओं ने कंप्यूटर से चीन के मकाउ में मौजूदा जलस्तर पर कृत्रिम सूनामी बनाई और इससे जलस्तर में 1.5 से 3 फुट तक की वृद्धि हुई। दक्षिणी चीन में बसा मकाउ अत्यधिक जनघनत्व वाला तटीय क्षेत्र है जो कि सामान्यत: सूनामी के खतरे से सुरक्षित है। मौजूदा समुद्र के जलस्तर में 8.8 तीव्रता के भूकंप से मकाउ डूब सकता है, लेकिन कृत्रिम जलस्तर में वृद्धि के कारण आए नतीजों ने टीम को हैरान कर दिया।
जलस्तर में 1.5 फुट की वृद्धि से सुनामी का खतरा 1.2 से 2.4 बार बढ़ गया जबकि तीन फुट वृद्धि से 1.5 से 4.7 बार बढ़ा। अर्थ आॅब्जर्वेटरी आॅफ सिंगापुर के सीनियर शोधकर्ता लिन लिन ली ने कहा, 'हमने पाया कि मध्यम तीव्रता वाले भूकंप से भी सैलाब की तीव्रता बढ़ गई, जो कि मौजूदा जलस्तर में खतरनाक नहीं है, लेकिन उच्च जलस्तर की स्थिति में इससे भीषण सैलाब आ सकता है।'