नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर उन्हीं के एक करीबी ने गंभीर इल्जाम लगाए हैं। जेएनयू परिसर में लंबे समय तक कन्हैया के साथी माने जाने वाले जयंत जिज्ञासू ने एआईएसएफ और कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफा देते हुए फेसबुक पर अपने इस्तीफे का पत्र शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कन्हैया पर धोखा देने और झूठ बोलने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
सीपीआई के महासचिव सुधाकर रेड्डी के नाम लिखे गए इस पत्र में जयंत ने संगठन की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं। फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा है, 'हमारा जनसंगठन एआइएसएफ और हमारी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कुछ बुनियादी सिद्धांतों व लोकोन्मुखी नीतियों को लेकर वुजूद में आए।
ऐसे दौर में जहां समाजवादी लक्ष्य की ओर बढ़ना था; वहाँ व्यक्तिवादी एजेंडे को लगातार संगठन व पार्टी में बढ़ावा दिया जा रहा है। यह कोई अनायास व अकारण नहीं है कि पूरे तंत्र को ध्वस्त करने में कुछ लोग लगे हुए हैं। यह कोई नेतृत्व के संकट का सवाल भी नहीं है, बल्कि पूरी संरचना ही अपने आप में अभिजात्य सवर्णवादी वर्चस्व के तानेबाने का संकेत देती है।'
जयंत ने लिखा है, 'जो भी लोग जेएनयू में चुनाव लड़ लेते हैं, वो खुद को आश्चर्यजनक ढंग से संगठन की गतिविधियों से किनारा कर लेते हैं। कहीं कास्ट एरोगेंस है तो कहीं क्लास एरोगेंस। मुझे आपके साथ हुई एक बैठक याद है जिसमें कॉमरेड कन्हैया ने कहा कि मैं जेएनयू एआइएसएफ युनिट का हिस्सा नहीं हूँ।
जब तक कोई अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए है, आॅन रोल है, कोई किसी युनिट का हिस्सा हुए बगैर कैसे डिपार्टमेंट का मेंबर हो सकता है या नेशनल काउंसिल का हिस्सा? इस पर आपने खामोशी ओढ़ ली।' जयंत ने कन्हैया पर आरोप लगाते हुए लिखा है, ' बतौर प्रेजिडेंट (जेएनयूएसयू) कन्हैया ने हॉस्टल एलॉटमेंट में ओबीसी रेजर्वेशन के रिजोल्युशन को अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करके यूजीबीएम में टेबल होने नहीं दिया और नियम का हवाला दिया।
कॉमरेड, आपके संज्ञान में यह बात एआईएसएफ के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लाई गई या नहीं, मुझे नहीं मालूम, पर जिस व्यक्ति के साथ हुई ज्यादती के खिलाफ पूरा जेएनयू और देश का प्रगतिशील व सामाजिक न्यायपसंद धड़ा साथ खड़ा था, उसी कन्हैया ने जेएनयू स्ट्युडेंट कम्युनिटी के साथ धोखा किया। प्रशासन द्वारा थोपे गए कंपलसरी अटैंडेंस के बखेड़े के खिलाफ जब सारे संगठन जूझ रहे थे, छात्रसंघ व सारे छात्र संगठन अटैंडेंस का बहिष्कार कर रहे थे, तो कन्हैया सबसे पहले अटैंडेंस शीट पर जाकर साइन करने वालों में से थे।'