नई दिल्ली। राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव सभा के दौरान एक आत्मघाती महिला ने विस्फोट करके हत्या कर दी थी। इस मामले में तमिलनाडु सराकर दोषियों की रिहाई चाहती है,लेकिन केंद्र सराकर इसके खिलाफ है।
जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस के. एम. जोसेफ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में दायर दस्तावेज देखने के बाद शुक्रवार को मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी को केंद्र सरकार से कहा था कि तमिलनाडु सरकार के 2016 के पत्र पर तीन महीने के भीतर निर्णय ले। राज्य सरकार राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों की सजा माफ करके उनकी रिहाई करने के निर्णय पर केंद्र की सहमति चाहती है। राज्य सरकार ने इस संबंध में दो मार्च, 2016 को केंद्र सरकार को पत्र लिखा था।