मुंबई। शिवसेना ने कहा है असम से विदेशी नागरिकों को बाहर निकालने वाली सरकार क्या डेढ़ लाख कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का साहस दिखाएगी? सामना में लिखे इस लेख में का शीर्षक है- असम का हुआ, कश्मीर का कब होगा? इसमें लिखा गया है, 'असम के चालीस लाख घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने के लिए भाजपा सरकार ने कमर कर ली। विदेशी नागरिकों को चुनकर बाहर निकालने का काम देशभक्ति का है और ऐसी हिम्मत दिखाने के लिए हम केंद्र सरकार का अभिनंदन कर रहे हैं।
'राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा करने वालों को चुनकर बाहर निकालना चाहिए और कश्मीर में घुसपैठ करने वालों को कुचलकर मारना चाहिए। 40 लाख घुसपैठियों की समस्या केवल कश्मीर तक ही सीमीत नहीं है। कश्मीर की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है।'केंद्र पर तंज कसते हुए लेख में कश्मीरी पंडितों का जिक्र भी किया गया है, 'असम से विदेशी नागरिकों को बाहर निकालते समय डेढ़ लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में घर वापसी कराने की हिम्मत सरकार दिखाएगी क्या?
कश्मीर से हिंदुओं का संपूर्ण खात्मा आतंक के बल पर हुआ है। इस आतंक को खत्म कर मोदी सरकार को कश्मीरी पंडितों के लिए रेड कार्पेट बिछाना चाहिए था। पर उनके पैरों तले की दरी भी खींच ली है।'हिंदुस्तान की जनता से मोदी ने वादा किया था कि वो सत्ता में आते ही धारा 370 को खत्म करेंगे, कश्मीर को बंधन मुक्त करेंगे।
ये बात इंदिरा गांधी, राजीव गांधी या मनमोहन सिंह ने नहीं कही थी। ये सभी कमजोर मन के लोग थे मगर मोदी ने वादा किया था कि सत्ता में आते ही धारा 370 रद्द कर कश्मीर में तिरंगा लहराएंगे। धारा 370 लेख के अंत में लिखा है, असम के 40 लाख विदेशी नागरिकों का सवाल हल करने के लिए हम मोदी सरकार का अभिनंदन, त्रिवार अभिनंदन कर रहे हैं।