कोलकाता। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के िलए कांग्रेस को राहुल की अगुवाई में विपक्ष की रीढ़ बनना पड़ेगा, ताकि एकता कायम रहे। हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसा करने से क्षेत्रीय नेताओं की जिम्मेदारी कम नहीं होती है।
वे इस चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे। इससे पहले उमर ने कोलकाता में तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी से मुलाकात थी। इसके बाद ममता ने कहा था कि 2019 के संभावित गठबंधन के लिए प्रधानमंत्री का नाम अभी तय नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करने से क्षेत्रीय पार्टियों की एकता विभाजित हो सकती है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि चेहरा तय करना जल्दबाजी होगी।
उमर ने कहा, विपक्ष में सीटों के बंटवारे के मामले में कांग्रेस को सबसे बड़ा हिस्सा मिलना चाहिए, क्योंकि ऐेसे कई राज्य हैं, जहां सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है। आज के समय में आपको सरकार बनाने के लिए सदन में 272 सीटें चाहिए। क्षेत्रीय दलों को ये हासिल होने वाला नहीं। अगर आप 100 सीटों तक नहीं पहुंचते हैं, तो गैरभाजपा सरकार बनाने के लिए आपको कांग्रेस की ओर देखना ही होगा।
जब कांग्रेस को राहुल पर भरोसा है, तो दूसरे को आपत्ति क्यों
राहुल की नेतृत्व क्षमताओं पर उठ रही आशंकाओं और उनके प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होने के सवाल पर उमर ने कहा, विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते चुनाव प्रचार के दौरान राहुल के सबसे आगे रहने की उम्मीद करते हैं। लेकिन, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की नेता सोनिया गांधी हैं। ऐसे में जब गठबंधन की बात आती है तो हम उनके भी चुनाव प्रचार का हिस्सा होने की उम्मीद करते हैं। राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।
अगर किसी को उनकी नेतृत्व क्षमता पर यकीन नहीं है, तो वह उनकी पार्टी में से ही होना चाहिए। अगर उनकी पार्टी में कोई सवाल नहीं उठा रहा है तो किसी दूसरे को क्या आपत्ति होगी? कांग्रेस को किस तरह से आगे ले जाना है, इसमें राहुल ने काफी परिपक्वता दिखाई है। ऐसे में उनके पास अध्यक्ष बनने का हक है।
एकता को प्रभावित करने के लिए उठाया गया चेहरे का मुद्दा
उमर ने कहा - विपक्ष का चेहरा कौन हो, ये मुद्दा एकता को प्रभावित करने के लिए उठाया गया है। क्षेत्रीय पार्टियां अपने राज्यों में मजबूत हैं। प. बंगाल में ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं। बिहार में भाजपा विरोधी चेहरा लालू यादव हैं। उन्हें कांग्रेस का समर्थन है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव, मायावती। तमिलनाडु में करुणानिधि और स्टालिन हैं। पूरे देश में होने के नाते कांग्रेस के पास बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन, इससे क्षेत्रीय नेताओं की जिम्मेदारी कम नहीं होती है। वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसलिए हमें रणनीति बनाकर आगे बढ़ना चाहिए।