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लोकसभा में मोदी सरकार की पहली अग्निपरीक्षा, अविश्वास प्रस्ताव मंजूर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 18 2018 1:31PM | Updated Date: Jul 18 2018 1:31PM
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नई दिल्ली। मॉनसून सत्र बुधवार से शुरु हो गया । सत्र शुरु होते ही संसद की कार्यवाई हंगामेदार रही और विपक्षी पार्टियों ने हंगामा किया। सरकार की ओर से 46 विधेयकों को एजेंडे में रखा गया है जिनमें तीन तलाक, भगौड़ा आर्थिक अपराधी और स्टेट बैंक निरसन जैसे कई अहम विधेयक शामिल हैं। मॉनसून सत्र 10 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कुल 18 बैठकें होनी हैं।
 
आज सदन शुरु होते ही विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर के सामने उठाया। सदन में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है और सरकार इसपर चर्चा करने के लिए तैयार है। वहीं लोकसभा स्पीकर सुमीत्रा महाजन ने कहा कि इस पर बहस के लिए समय और तारीख वो तय करेंगी। उसी दिन फिर अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी। 
 
आपको बता दें कि जहां विपक्ष ने दोनों सदनों में सामान्य कामकाज होने का भरोसा जताते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाये वहीं सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उम्मीद जतायी कि सत्र में लोकहित के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी। महिला आरक्षण और भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने के मामलों, मॉब लिंचिग में बढ़ोतरी जैसे मुद्दों को इस सत्र में उठाये जाने की संभावनाओं के बीच विपक्षी दलों ने सत्तापक्ष को सदन की अबाध कार्यवाही का आश्वासन दिलाया।
 
राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा ‘‘विपक्ष सदन की सुचारु कार्यवाही सुनिश्चित करने में सकारात्मक सहयोग के लिये तत्पर है, लेकिन सत्तापक्ष की मंशा पर संदेह है।’’ झा ने कहा ‘‘मॉब लिंचिग का मामला हो या महिला आरक्षण का मुद्दा हो, सत्तापक्ष का इरादा कुछ और है, इशारा कुछ और है।’’ भाजपा की राज्यसभा सदस्य रुपा गांगुली ने भी सदन की कार्यवाही सुचारु रुप से चलने की उम्मीद जताते हुये कहा कि जनहित के मुद्दों पर सकारात्मक बहस में विपक्ष को सहयोग करना चाहिये। 
 
महिला आरक्षण के मुद्दे पर गांगुली ने कहा ‘‘मेरी निजी राय है कि आज के दौर में महिलाओं को आरक्षण की उतनी जरुरत नहीं है जितनी पुराने समय में थी। लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें आजादी के इतने साल बाद भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं हो पाया है, उन क्षेत्रों में आरक्षण की जरुरत है।’’ उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो सवाल उठाये हैं, उनकी पार्टी की जिम्मेदारी थी कि तमाम क्षेत्रों में महिलाओं को आगे क्यों नहीं बढ़ाया गया। 
 
पूर्व सपा नेता और असंबद्ध सदस्य अमर सिंह ने विपक्ष के रुख का हवाला देते हुये सदन की कार्यवाही ग्रीष्मकालीन सत्र की तरह मानसून सत्र में भी बाधित रहने की आशंका जतायी। उन्होंने कहा ‘‘पहले गर्मी से संसद झुलसी थी अब मानसून में भीगेगी। विपक्ष का काम ही यही है कि कामकाज न हो।’’ महिला आरक्षण के मुद्दे पर सिंह ने कहा कि यह विधेयक पारित होना चाहिये क्योंकि इस विधेयक पर सुषमा स्वराज से लेकर वृंदा करात तक सभी के बीच सहमति है।
 
हालांकि उन्होंने महिला आरक्षण पर विपक्ष की मंशा पर सवाल उठाते हुये कहा ‘‘जो धर्मनिरपेक्ष बिरादरी है उसके प्रणेता, चाहे मायावती की पार्टी हो या अखिलेश और लालू जी की पार्टी हो, ये लोग इसके प्रबल विरोधी हैं। विधेयक पारित नहीं होने देने वालों का जखीरा विपक्षी खेमे में ही है।’’
 
कांग्रेस के हुसैन दलवई ने विपक्ष की ओर से सदन की सुचारु कार्यवाही में सक्रिय सहयोग का भरोसा दिलाते हुये उम्मीद जतायी कि विपक्ष को भी उसकी बात रखने का मौका दिया जाएगा। मॉब लिंचिग का मुद्दा सदन में उठाये जाने के सवाल पर दलवई ने सत्तापक्ष की मंशा पर संदेह जताते हुये कहा ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश का हम आदर करते हैं लेकिन मौजूदा कानून को ही अगर ठीक ढंग से लागू किया जाये तो अलग कानून का सवाल उठेगा ही नहीं।’’ उन्होंने कहा कि कानून बनने के बावजूद अगर सरकार लिंचिग करने वालों की अगर मदद करेगी तो कानून बनाने से क्या फायदा होगा। 
 

 

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