नई दिल्ली। दिन-रात मीडिया चैनलों की डिबेट में हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा कहीं-न-कहीं जरूर उठ जाता है। मुद्दे में बहस इतनी तेज हो जाती है कि एंकर से लेकर दर्शक भी उलझ हो जाता है और हिंदू-मुस्लिम धर्म को लेकर लोग अलग-अलग राय गढ़ने लगता हैं। इन्हीं सब के बीच गंगा-जमुनी तहजीब की संस्कृति का अच्छा सा उदाहरण सामने आया है। दरअसल, कानपुर की एक मुस्लिम महिला ने हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामायण का उर्दू में अनुवाद किया है, जो अंतर-समुदाय सद्भाव का एक उदाहरण स्थापित कर रही है। उनका मानना है कि यह काम करने के बाद मैं बहुत ही आराम महसूस कर रही हूं।
रामायण पढ़ने के बाद शांति का अनुभव
कानपुर के प्रेमनगर की रहने वाली डॉक्टर तलत सिद्दीकी ने रामायण का उर्दू में अनुवाद किया है। उन्होंने कहा कि रामायण उन सभी धर्मों की तरह है जिससे लोग पढ़ने के बाद शांति और सद्भाव उत्पन्न हो जाता है। उन्होंने कहा कि रामायण हमें शांति और भाई चारे का संदेश देता है। मीडिया से बातचीत करते हुए तलत सिद्दीकी ने बताया कि रामायण का उर्दू में अनुवाद करते हुए उन्हें डेढ़ साल का वक्त लगा।
उन्होंने कहा अनुवाद करते वक्त उन्होंने कई बातों का ध्यान रखना पड़ा। उन्होंने बताया कि अनुवाद के वक्तॉइस बात का उन्होंने पूरा ख्याल रखा कि रामायण में मौजूद हिंदी भाषा वाले के शब्दों का भावार्थ में कोई गड़बड़ी न हो सके। प्रेमनगर की निवासी डॉक्टर तलत सिद्दीकी ने हिंदी साहित्य में एमए डिग्री हासिल की है।
उन्होंने कहा कि गंगा-जमुनी तहजीब के लिए वो ऐसे काम आगे भी करती रहेगी। हालांंकि यह पहली दफा नहीं है कि किसी मुस्लिम महिला ने हिंदू ग्रंथ का उर्दू में अनुवाद किया हो। इससे पहले वाराणसी की 22 वर्षीय लड़की ने रामचरित्र मानस का अनुवाद किया है। 22 वर्षीय नाजनीन ने न सिर्फ रामचरित्रमानस का उर्दू में अनुवाद किया था बल्कि हनुमान चालीसा का भी उर्दू में अनुवाद किया था।