नई दिल्ली। सुनंदा पुष्कर मौत मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया है कि मृतक के अपने पति और कांग्रेस के लोकसभा सदस्य शशि थरूर को किए गए मेल और सोशल मीडिया पर जारी मेसेज को डाइंग डेक्लरेशन (मौत से पहले के बयान की तरह) के तौर पर लिया गया है। बता दें कि सुनंदा ने मौत से 8 दिन पहले थरूर को एक मेल कर मरने की इच्छा जताई थी। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को अदालत में यह बयान दिया। बयान में पुलिस ने कहा कि सुनंदा ने थरूर को लिखे मिले में लिखा था, 'मैं जीना नहीं चाहती हूं। मैं मरना चाहती हूं।'
सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समर विशाल से कहा कि थरूर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। वकील ने अदालत को बताया कि पुष्कर तनाव में थीं और उन्होंने आठ जनवरी, 2014 को थरूर को एक ईमेल लिखा था, जिसमें उन्होंने मरने की इच्छा जाहिर की थी।
उन्होंने अदालत को बताया कि पुष्कर की मौत जहर से हुई थी। बयान दर्ज करने के बाद अदालत थरूर के खिलाफ आरोप पत्र स्वीकार करने संबंधी अपना आदेश पांच जून को देगी। दिल्ली पुलिस ने थरूर के खिलाफ पत्नी से क्रूरता तथा आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 306 और 498ए के अंतर्गत 14 मई को आरोप पत्र दाखिल किए थे। पुष्कर (51) 17 जनवरी, 2014 को दक्षिण दिल्ली के एक होटल में अपने कमरे में मृत पाई गईं थीं।
इससे कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने पति शशि थरूर पर पाकिस्तान की एक पत्रकार से संबंध होने का आरोप लगाया था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत 1 जनवरी 2015 को एफआईआर दर्ज की थी। करीब 3000 पन्नों की चार्जशीट में पुलिस ने थरूर को इस मामले में इकलौता अभियुक्त बताया है। थरूर के नौकर नारायण सिंह को मुख्य गवाह बनाया गया है।
सुनंदा पुष्कर मौत केस में कांग्रेस सांसद शशि थरूर आरोपी के तौर पर समन भेजा जाए या नहीं। पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को इसे लेकर 5 जून तक फैसला सुरक्षित रखा है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट में सुनंदा के पति शशि थरूर को आत्महत्या के लिए उकसाने और पत्नी के साथ क्रूरता का आरोपी बनाया है। पिछले दिनों थरूर ने चार्जशीट को हास्यास्पद बताते हुए इसे चुनौती देने की बात कही थी। बता दें कि सुनंदा दिल्ली के एक लग्जरी होटल में जनवरी, 2014 को मृत पाई गई थीं।
वकील ने चार्जशीट पर सवाल उठाए
थरूर के वकील ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटियन मजिस्ट्रेट समर विशाल की कोर्ट में कहा, ''समझ में नहीं आता कि क्यों पुलिस ने इसे आत्महत्या के लिए उकसाने और पत्नी के साथ क्रूरता का मामला बनाया है। क्या उनके सोशल मीडिया पोस्ट को मौत से पहले बयानों के तौर पर लिया जा सकता है? सुनंदा पुष्कर की मौत जहर की वजह से हुई थी।'' इस पर मजिस्ट्रेट ने कहा कि दूसरे पक्ष ने दावा किया है कि उनके पास मामले में पर्याप्त सबूत हैं। इस पर 5 जून को फैसला सुनाया जाएगा।
कांग्रेस नेता ने चार्जशीट को हास्यास्पद कहा था
शशि थरूर ने ट्वीट में चार्जशीट को हास्यास्पद बताया था। कहा कि इसके खिलाफ पूरी ताकत के लडूंगा। जो कोई भी सुनंदा को जानता था उसे यह बात पता है कि केवल मेरे उकसाने से वह आत्महत्या नहीं कर सकती है। कांग्रेस नेता ने दूसरे ट्वीट में लिखा, ''इसे दिल्ली पुलिस की सही जांच और मंशा नहीं कहा जा सकता है। पिछले साल अक्टूबर 17 को उनके कानूनी अफसर ने हाईकोर्ट में कहा था कि पुलिस को जांच में किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। अब 6 महीने बाद पुलिस दावा कर रही है कि मैंने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया। यह अविश्वसनीय है।''
चार्जशीट में दो धाराओं का जिक्र
14 मई को दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर की। 3 हजार पन्नों की चार्जशीट में सांसद शशि थरूर अकेले आरोपी हैं। इसमें आईपीसी 498ए (महिला पर क्रूरता के लिए पति या उसका कोई संबंधी जिम्मेदार) और आईपीसी 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) का जिक्र है। पुलिस की मांग है कि कोर्ट शशि थरूर को बतौर आरोपी समन भेजे, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। केस में थरूर का नौकर नारायण सिंह भी मुख्य गवाह बना है। बता दें कि आईपीसी 498ए में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल और आईपीसी 306 में 10 साल की सजा का प्रावधान है।
सीक्रेट रिपोर्ट में क्या हुआ था खुलासा?
मार्च 2018 में आई सीक्रेट रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस को पहले दिन से पता था कि उनकी हत्या हुई है। दिल्ली पुलिस के डिप्टी कमिश्नर बी. एस जायसवाल ने जो पहली रिपोर्ट तैयार की थी, उसमें साफ तौर पर जिक्र था कि वसंत विहार के एसडीएम आलोक शर्मा ने निरीक्षण के बाद कहा था कि यह सुसाइड नहीं है।