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कांग्रेस के सामने आर्थिक तंगी, 5 महीने से राज्यों की इकाइयों को पैसा नहीं दिया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 24 2018 9:44AM | Updated Date: May 24 2018 9:44AM
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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को 2019 में सत्ता से दूर रखने का कांग्रेस का मिशन आर्थिक तंगी की वजह से कमजोर पड़ सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पिछले पांच महीने से कांग्रेस ने कई राज्यों की यूनिट को दफ्तर का खर्च चलाने के लिए फंड भी नहीं भेजा है। इस तंगी से उबरने के लिए पार्टी ने सदस्यों से सामने आने के लिए और अधिकारियों के खर्च कम करने की अपील की है।

एक अधिकारी ने ब्लूमबर्ग को बताया, पूर्वी राज्यों में इस साल हुए चुनावों के दौरान पार्टी के नेता वक्त पर नहीं पहुंच पाए, फंड की कमी के चलते वे फ्लाइट टिकट के लिए आखिरी वक्त तक इंतजार ही करते रहे। नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय चुनावों में भाजपा के मुकाबले पार्टी का अभियान कमजोर नजर आया, जो कि यहां कांग्रेस के सत्ता में ना आने की एक अहम वजह थी।  तंगी से उबरने के लिए पार्टी खर्चों पर लगाम लगा रही है, जो कि यात्रा से लेकर मेहमानों को चाय पिलाने तक पर लागू हो रहे हैं।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस की फंडिंग में बड़ी हिस्सेदारी उद्योगपतियों की है जो कि धीरे-धीरे खत्म हो रही है। कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रभारी दिव्य स्पंदन ने कहा कि हमारे पास पैसा नहीं है। भाजपा की तुलना में हमारे पास इलेक्टोरल बॉन्ड्स से फंड कम आ रहा है। जिसके चलते कांग्रेस फंड के लिए आॅनलाइन स्रोतों पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ रहा है। हालांकि, इस मसले पर जब कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला से सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया।
 
 
वॉशिंगटन में कानेर्जी इंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में रिसर्च फेलो मिलन वैष्णव ने कहा, "2019 की तरफ बढ़ रही भाजपा के लिए फंडिंग की बढ़त छोटी-मोटी नहीं, बल्कि निर्णायक होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस और दूसरे क्षेत्रीय दल भाजपा के मुकाबले कम बिजनेस फ्रैंडली नजर आ रहे हैं।' बता दें कि 2013 में कांग्रेस के पास 15 राज्य थे, लेकिन अब उसके पास केवल 2 बड़े राज्य हैं। उधर, भाजपा और एनडीए 20 राज्यों में शासन कर रहे हैं। और, अगले आम चुनावों से पहले भी मोदी देश के सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। 2016-17 सात राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आमदनी 1559 करोड़ रुपए रही।
 
इसमें सबसे ज्यादा आमदनी भाजपा, फिर कांग्रेस की है। भाजपा की कमाई 81.8% बढ़कर 1034 करोड़ रुपए हो गई। 2015-16 में यह 570.86 करोड़ रुपए थी। कांग्रेस की आमदनी में 14% की कमी आई है। पार्टी की आय 261.56 करोड़ रुपए से घटकर 225.36 करोड़ रुपए रह गई है।  भाजपा को 2016-17 में अनुदान, दान और योगदान के जरिए उसे 997.12 करोड़ रुपए मिले।
 
यह फाइनेंशियल ईयर 2016-17 के दौरान की कुल आमदनी का 96.41% है। उधर, इस दौरान कांग्रेस को समान सोर्स से 50.626 करोड़ रुपए मिले। यह उसकी कुल आमदनी का 51.32% है। भाजपा ने फाइनेंशियल ईयर 2016-17 में 606.64 करोड़ रुपए चुनाव और प्रचार अभियानों पर खर्च किए। वहीं, प्रशासनिक कामों पर 69.78 रुपए लगाए। इसी तरफ, कांग्रेस ने चुनाव में 149.65 करोड़ रुपए और प्रशासकीय कामों में करीब 115.65 करोड़ रुपए खर्च किए।
 
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