नई दिल्ली। कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के खिलाफ कांग्रेस और जदएस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है। इस मामले में कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी जिसके बाद बोपैया प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे। कोर्ट ने इस दौरान कहा कि वो राज्यपाल से फैसला बदलने को नहीं कह सकती।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण को लेकर निर्देश दिए हैं कि सदन में मतविभाजन हो और स्थानीय चैनल्स पर इसका लाइव प्रसारण भी किया जाए। कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने इस दौरान कोर्ट से कहा कि बहुमत परीक्षण के लिए सबसे वरिष्ठ को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा पहले भी कई बार हुआ है जब सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया। इस दौरान जस्टिस बोबडे ने उदाहरण देते हुए कहा कि सीनियर का मतलब कार्यकाल से है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते हुए कहा कि हम राज्यपाल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के लिए नहीं कह सकते।
बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस ने इस बार राज्यपाल के प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के फैसले को चुनौती दी है। साथ ही इसे नियम विरुद्ध बताया है। दोनों ही दलों ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने शुक्रवार देर शाम इसे लेकर अपनी याचिका दाखिल की है।
दोनों ही दलों ने प्रोटेम स्पीकर के पद पर केजी बोपैया की नियुक्ति को जिस आधार पर चुनौती दी है, उनमें पहला यह है कि वह सदन में जूनियर हैं। सदन में उनसे ज्यादा वरिष्ठ सदस्य मौजूद हैं। ऐसे में जूनियर को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना गलत है। इसके अलावा बोपैया पर पूर्व में फ्लोर टेस्ट के दौरान ही गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनके कामकाज के तरीके पर खुद ही अंगुली उठाई थी। ऐसे में इस तरह के व्यक्ति को फिर से प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना ठीक नहीं होगा।