नई दिल्ली। एससी-एसटी एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि किसी की भी गिरफ्तारी निष्पक्ष और उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत होनी चाहिए। अगर बिना निष्पक्ष और उचित प्रक्रिया के किसी को सलाखों के पीछे भेजा जाता है तो समझिए कि हम सभ्य समाज में नहीं रह रहे हैं।
प्रत्येक कानून को जीवन के अधिकार से संबंधित मौलिक अधिकार के दायरे में देखना होगा। इस अधिकार को संसद भी कम नहीं कर सकती। जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया, यानी सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्रभावी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गोयल ने टिप्पणी की है कि जो भी कानून है, उसे अनुच्छेद-21 (जीवन के अधिकार) के दायरे में देखना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने मेनका गांधी संबंधी वाद में इस बाबत व्यवस्था दी थी।